आखिर क्या चाहते हैं हम
सुबह उठ जाएं जो एक बार,दिन भर जुटे रहते हैं हम,न लेकर चैन की सांस,घंटों काम करते रहते हैं हम.आखिर […]
सुबह उठ जाएं जो एक बार,दिन भर जुटे रहते हैं हम,न लेकर चैन की सांस,घंटों काम करते रहते हैं हम.आखिर […]
चाहत हीरे-मोतियों की नहीं,अंगूठी तेरी उंगलियों की चाहिए. चाहत किसी इत्र की नहीं,महक अपनी सांसों में बस तुम्हारी चाहिए. उड़ने
चाहत हीरे-मोतियों की नहीं, अंगूठी तेरी उंगलियों की चाहिए और देखें »
तुमने मुझे चूड़ियां पहनाईं,मैं मैरीकॉम बन गई.तुमने मुझे पायल पहनाई,मैं पी टी ऊषा बन गई. 6 मीटर की साड़ी में
सुनो न… वो पापा की परी समझदार हो गई है,जो घंटों मायके में सोया करती थी,वो जल्दी उठने वाले लोगों