अक्सर आपने देखा होगा कि कई लोग अपने बेटे की जमकर दूसरों के सामने खासकर भरे समाज में तारीफ करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा नहीं करना चाहिए.
भारत के मशहूर ज्ञाता आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में इस बात का जिक्र किया है कि कभी भी एक पिता को अपने बेटे की तारीफ दूसरों के सामने नहीं करनी चाहिए.
चाणक्य का कहना है कि अगर आपका बेटा गुणवान भी है तो भी पिता को अपने बेटे की तारीफ समाज में नहीं करनी चाहिए.
चाणक्य का कहना है कि पिता चाहे कोई भी हो, अपने बेटे को समय-समय पर उत्साहित अवश्य करना चाहिए लेकिन कभी भी उसके गुणों का उल्लेख भरे समाज में नहीं करना चाहिए. ऐसा न करने के ज्यादा फायदे होते हैं.
जैसे कोई पिता अपने बेटे की तारीफ भरे समाज में दूसरों के सामने करता है, इससे वह उनकी हंसी का पात्र बन सकता है या फिर कुछ ऐसे लोग होते हैं जो कि अपनी खुद की तारीफ लोगों के बीच करते हैं.
पिता की इस गलती की वजह से पूरे समाज में उनके परिवार का मजाक भी उड़ाया जा सकता है. चाणक्य कहते हैं कि अगर आपका पुत्र गुणवान है तो लोगों के बीच उसके गुणों का बखान किया जाए, यह जरूरी नहीं होता.
चाणक्य के मुताबिक अगर कोई पिता बार-बार समझ में बेटे की तारीफ करता है तो लोग उनकी बातों पर भरोसा करना छोड़ सकते हैं.
चाणक्य का कहना है कि जिस घर में भी गुणवान बेटा होता है, उसका नाम अपने आप हो जाता है. उसे जबरन तारीफ की आवश्यकता नहीं होती है.
Disclaimer: बताई गई बातें आचार्य चाणक्य की नीतियों पर आधारित हैं. Readmeloud इनकी पुष्टि नहीं करता है.