रोते को हंसना सिखाती हूं, तुम्हारे बिना हंसना खुद को सिखाऊं कैसे?
तुम्हारे बाद पिता के जाने का दर्द, मां तुम्हे बताऊं कैसे?
बनारस रांची की गलियों की शॉपिंग, देखने वाली मां अब तुम्हें लाऊं कैसे?
तुम्हारी यादों मिटाऊं कैसे, मायका का मां हट गया है, पापा भी छोड़ गए, अब तुम्हारे बिना मायका कहूं कैसे?
जहां पूरी हो जाये तुम्हारी कमी मां, वो जहान लाऊं कैसे?
Poem BY: Suman Mishra