सुन मेरे ऐ अजनबी, मोहब्बत पर न लगाना तू पहरे मजहबी... @readmeloud

जुल्फों की तरह उलझ गई है ये जिंदगी, कोई सुलझाने वाला मिले तो बात भी बने... @readmeloud

मेरे मौला मुझपर अपनी, मेहर का आफताब रखना, खेले जो मेरे दिल से, उसका भी हिसाब-किताब रखना... @readmeloud

कौन कहता है कि आंखें बोल नहीं सकती, हमने आपसे मोहब्बत क्या कर ली, पूरे शहर में जिक्र आपका ही हो गया... @readmeloud

किसे ढूंढते खुद की कहानी सुनाने को, यहां हर कोई तन्हा मिला, जो बैठा था फूट-फूट कर रोने को... @readmeloud

मुद्दतों बाद जब हिचकियों ने मेरे गले में रुख किया, लबों पर आई मुस्कान, चलो किसी ने तो याद किया... @readmeloud

हो चुके हैं हम उन लोगों से त्रस्त, जिंदगी में जो हैं हमारी मौकापरस्त... @readmeloud