राजस्थान के कोटा में हर साल करीब 2 लाख स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए पहुंचते हैं.
इनमें से कई स्टूडेंट्स के सपने पूरे हो जाते हैं तो कुछ के सपने बिखर जाते हैं. कुछ स्टूडेंट्स फेलियर को सह जाते हैं और नई शुरुआत करते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो इसे बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं.
बीते साल 2023 में कोटा के 29 स्टूडेंट्स ने सुसाइड कर लिया था, वहीं, इस साल 2024 में दो महीने में 4 स्टूडेंट्स सुसाइड कर चुके हैं.
सुसाइड के पीछे की वजह पढ़ाई, कोचिंग और सबसे बेहतर करने का दबाव है. इसके चलते कोटा प्रशासन और कोचिंग संस्थान कई कदम भी उठाते हैं.
कोटा के एसपी चंद्रशील ठाकुर ने साल 2016 में खास टीम तैयार की थी, जिसका काम स्टूडेंट्स से बात करना था.
इसके अलावा स्टूडेंट सेल हेल्पलाइन भी बनाई गई, जहां पर स्टूडेंट्स किसी भी समय अपनी परेशानियों का हल जान सकते हैं. इस टीम ने कई स्टूडेंट्स की परेशानियां हल की हैं.
कोचिंग इंस्टीट्यूट्स में पढ़ रहे स्टूडेंट्स की कई तरह की अलग-अलग दिक्कतों को निपटाने के लिए अभय कमांड सेंटर में गठित स्टूडेंट्स सेल में 6 महीने की 707 शिकायतों में से 697 को हल किया जा चुका है.
पढ़ाई के चलते मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे छात्र छात्रों की पहचान करने के लिए 'दरवाजे पर दस्तक' कैंपेन भी शुरू किया गया है.
टीम के माध्यम से कोचिंग कैंपस के आसपास स्टूडेंट्स को हर समय हेल्पलाइन नंबर 9530442778, 8764520409/10 भी उपलब्ध करवाए गए हैं.
स्टूडेंट के सुसाइड को रोकने के लिए और उनकी टेंशन को कम करने के लिए कोटा हीरोज की यह पहल काफी काम आ रही है और लोग अपनी बातें भी शेयर कर रहे हैं.