Bathing Vastu Shastra: वास्तु शास्त्र और धार्मिक परंपराओं में स्नान (नहाना) को शुद्धिकरण माना गया है. मान्यता है कि स्नान के बाद शरीर ही नहीं, मन और आत्मा भी पवित्र होते हैं. इसी कारण कुछ कार्य स्नान के तुरंत बाद वर्जित बताए गए हैं.
स्नान के बाद क्या नहीं करना चाहिए (वास्तु व धर्म शास्त्र के अनुसार)
तुरंत बिस्तर पर लेटना या सोना
स्नान के बाद शरीर ताज़ा और ऊर्जावान होता है. सोने से यह ऊर्जा नष्ट होती है और आलस्य बढ़ता है.
गुस्से या वाद-विवाद में पड़ना
स्नान पवित्रता और शांति का प्रतीक है. नहाने के तुरंत बाद झगड़ा करना अशुभ माना जाता है.
बाल और शरीर को बिना सुखाए काम करना
गीले बाल और शरीर से नकारात्मक ऊर्जा (आर्द्रता, जुकाम, थकान) बढ़ती है. वास्तु में इसे असंतुलन का कारण बताया गया है.
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रसोई या मंदिर में गीले शरीर से प्रवेश
माना जाता है कि गीले शरीर से पवित्र स्थान में जाने पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और देवता रुष्ट हो सकते हैं.
तुरंत भोजन करना
स्नान के बाद शरीर का तापमान बदला होता है. तुरंत भोजन करने से पाचन तंत्र प्रभावित होता है.
बाल सुखाए बिना बाहर निकलना
इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और वास्तु में इसे असंतुलनकारी माना गया है.
कपड़े पहने बिना अन्य कार्य करना
स्नान के बाद शुद्ध, साफ और हल्के कपड़े पहनना जरूरी माना गया है. गीले कपड़ों में रहना नकारात्मकता को आकर्षित करता है.
Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं-परंपराओं के अनुसार हैं. Readmeloud इनकी पुष्टि नहीं करता है.