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यहां विधवा के कपड़ों में होती है नई दुल्हन की विदाई, वजह उड़ा देगी होश

Bizarre News: भारत में जब भी किसी हिंदू लड़की की शादी होती है तो उसे हमेशा लाल रंग के जोड़े में विदा किया जाता है. लाल रंग शगुन का माना जाता है और इसे सुहाग की निशानी के तौर पर देखा जाता है. भारत में ज्यादातर दुल्हनों को हमेशा लाल जोड़े में ही विदा किया गया है लेकिन क्या आप कभी सोच सकते हैं कि भारत के ही किसी धर्म के रीति-रिवाज में किसी दुल्हन को विधवा की तरह सफेद रंग की पोशाक पहनाए जाएं और फिर उसी में उसकी विदाई की जाए. अगर नहीं तो आज की खबर पढ़ कर आपके होश उड़ जाएंगे.

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लाल रंग को भारतीय समाज में शुभता के तौर पर देखा जाता है. भारतीय संस्कृति में सफेद और काले रंग को अच्छा नहीं माना जाता है. शायद यही वजह है कि जब भी कोई शुभ काम होता है खास करके शादी-ब्याह तो यह रंग नहीं पहना जाता है लेकिन भारत में ही एक गांव ऐसा भी है, जहां पर दुल्हन को शादी वाले दिन सफेद रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं और उसे विदा भी उन्ही कपड़ों में किया जाता है. सफेद रंग के कपड़ों में दुल्हन की विदाई के बारे में जानकर थोड़ा अटपटा लग रहा होगा लेकिन यह सच है.

आज के समय में बॉलीवुड में तो ट्रेंड ही चल गया है कि ज्यादा तो दुल्हनें पेस्टल शेड वाले कपड़ों का रंग अपनी शादी वाले दिन के लिए चुनती हैं. कई दुल्हनें तो सफेद और गोल्डन रंग के लहंगे पहनना शुरू कर चुकी हैं लेकिन आपको भारत के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर दुल्हन को उसकी जिंदगी के सबसे खास शादी वाले दिन उसके माता-पिता ही सफेद रंग के लिबास में उसे विदा करते हैं.

दुल्हनें क्यों पहनती हैं सफेद कपड़े
दरअसल, मध्य प्रदेश के मंडला जिले में भी भीमडोंगरी नाम का एक गांव है. यह आदिवासी इलाकों की लिस्ट में आता है. यहां पर जब भी किसी लड़की की शादी होती है तो उसकी विदाई सफेद रंग के कपड़ों में की जाती है. इतना ही नहीं, वहां मौजूद ज्यादातर मेहमान भी सफेद रंग के कपड़े ही पहनते हैं. दुल्हन को सफेद रंग की साड़ी पहनने के पीछे खास मान्यता मानी जाती है. इस गांव में ज्यादातर गौंडी धर्म के लोग रहते हैं. ये लोग सफेद रंग को बेहद शुभ मानते हैं. इस धर्म के लोग सफेद रंग को बेहद पसंद करते हैं.

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दुल्हन लेती केवल चार फेरे
गोंडी धर्म के लोग जब भी कभी अपनी बहन-बेटियों की शादी करते हैं और उनकी विदाई करते हैं तो उन्हें सफेद रंग का लिबास पहनाते हैं. इतना ही नहीं, सफेद जोड़ों में जब इस धर्म की दुल्हन फेरे की रस्म करती है तो केवल चार फेरे ही लेती है. इसके बाद जो भी तीन फेरे बचते हैं, वह दूल्हे के घर जाकर लिए जाते हैं. अगर अचानक आप यहां की शादियों में पहुंच जाएं तो वहां दुल्हन समेत बाकी मेहमानों को सफेद रंग के कपड़ों में देखकर बड़ी मुश्किल से यह तय कर पाएंगे कि यहां शादी हो रही है या फिर कोई अन्य दुखी होने वाली बात है.

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