Mathura Famous Food: कोई भी इंसान अगर कृष्ण की नगरी मथुरा जाता है तो वह वहां के पेड़े खाए बिना वापस लौट आए, ऐसा हो ही नहीं सकता है. कान्हा की नगरी के नाम से मशहूर मथुरा-वृंदावन में इतने स्वादिष्ट और सॉफ्ट पेड़े मिलते हैं कि इन्हें दुनिया भर में खूब पसंद किया जाता है. विशेष बनावट, स्वाद और परंपरा की वजह से इन्हें भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.
इन पेड़ों की सबसे खास बात यह होती है कि यह न केवल मुलायम होते हैं बल्कि इनकी बनावट दानेदार से होती है. यह दूध के खोया यानी कि मावे से बनाए जाते हैं. कई जगहों पर इन्हें केसर, इलायची और चीनी के मिश्रण से सजाया जाता है तो कुछ दुकानदार इन्हें सूखे मेवों से सजाते हैं. मथुरा के पेड़ों का रंग हल्का भूरा या फिर सुनहरा होता है. दरअसल यह रंग इन्हें लंबे समय तक भूनने की वजह से होता है.
तमाम लोग ऐसे भी होते हैं, जो कि जल्दी-जल्दी मथुरा या वृंदावन नहीं जा पाते लेकिन वह मथुरा के पेड़ों का स्वाद जरूर चखना चाहते हैं. अगर आप भी कुछ ऐसी इच्छा रखते हैं तो आज की खबर पढ़ कर आप काफी खुश हो जाएंगे. दरअसल आज आपके लिए मथुरा की फेमस मिठाई दूध और चीनी से बने पेड़ों के बारे में जानकारी लेकर आए हैं. ऐसे में आप बिना मथुरा जाए ही घर पर इन्हें बनाकर उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध मिठाई को चख सकते हैं
मथुरा के पेड़े की रेसिपी
सामग्री (10-12 पेड़े के लिए):खोया (मावा) – 250 ग्राम (बाजार से खरीदा हुआ या घर पर बना हुआ)
चीनी – 100-120 ग्राम (पाउडर की हुई)
दूध – 2-3 टेबलस्पून (आवश्यकतानुसार)
घी – 2 टेबलस्पून
इलायची पाउडर – 1/2 टीस्पून
केसर – 8-10 धागे (2 टेबलस्पून गर्म दूध में भिगोए हुए, ऑप्शनल)
पिस्ता या बादाम – 8-10 (बारीक कटे हुए, गार्निश के लिए, ऑप्शनल)
बनाने की विधि:
अगर आप घर पर खोया बना रहे हैं, तो 1 लीटर फुल क्रीम दूध को भारी तले की कड़ाही में उबालें और धीमी आंच पर तब तक पकाएं, जब तक यह गाढ़ा होकर खोया न बन जाए. इसमें 1-1.5 घंटा लग सकता है. तैयार खोया को ठंडा होने दें. बाजार से खरीदा हुआ खोया इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इसे कद्दूकस कर लें या छोटे टुकड़ों में तोड़ लें.
फिर एक भारी तले की कड़ाही में 1 टेबलस्पून घी गरम करें. खोया डालें और धीमी-मध्यम आंच पर लगातार चलाते हुए भूनें. इसे 10-15 मिनट तक भूनें, जब तक खोया हल्का सुनहरा न हो जाए और उसमें से भुनी हुई खुशबू न आए. ध्यान रखें कि खोया जले नहीं. भुने हुए खोए में पाउडर चीनी डालें और अच्छे से मिलाएं. चीनी पिघलकर मिश्रण को थोड़ा नम कर देगी. अगर मिश्रण बहुत सूखा लगे, तो 1-2 टेबलस्पून दूध डालें और अच्छे से मिलाएं. ध्यान रखें कि ज़्यादा दूध न डालें, वरना पेड़े नरम हो जाएंगे.
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इलायची पाउडर और भिगोया हुआ केसर (दूध के साथ) डालें. 2-3 मिनट तक और पकाएं, जब तक मिश्रण गाढ़ा और एकसार न हो जाए. मिश्रण को एक प्लेट में निकालकर थोड़ा ठंडा होने दें, ताकि इसे आसानी से संभाला जा सके, लेकिन पूरी तरह ठंडा न करें. हल्का गर्म रहना चाहिए.
ऐसे बनाएं पेड़े
अपने हाथों पर थोड़ा घी लगाएं ताकि मिश्रण चिपके नहीं. मिश्रण से छोटी-छोटी लोइयां लें और उन्हें गोल या चपटे आकार में दबाकर पेड़े बनाएं. प्रत्येक पेड़े के ऊपर कटा हुआ पिस्ता या बादाम दबाकर सजाएं. पेड़ों को पूरी तरह ठंडा होने दें ताकि वे सेट हो जाएं. इन्हें एयरटाइट डिब्बे में स्टोर करें और 4-5 दिनों तक फ्रिज में रख सकते हैं.
खोये की क्वालिटी का रखें ध्यान
ताजा और अच्छी गुणवत्ता का खोया इस्तेमाल करें. अगर खोया सूखा है, तो थोड़ा दूध डालकर नरम करें. स्वाद बढ़ाने के लिए केसर के अलावा, आप गुलाब जल (1 टीस्पून) भी डाल सकते हैं. मथुरा के पेड़े की बनावट दानेदार होती है, इसलिए खोया को ज्यादा चिकना न करें. साथ ही चीनी की मात्रा अपने स्वाद के अनुसार कम या ज्यादा करें. लंबे समय तक स्टोर करने के लिए पेड़ों को फ्रिज में रखें और परोसने से पहले हल्का गुनगुना करें.
क्या है मथुरा के पेड़ों की खासियत
मथुरा के पेड़े को मंदिरों में प्रसाद के रूप में चढ़ाने की परंपरा है, जो इसे धार्मिक महत्व देता है. इसका हल्का भूरा रंग और दानेदार बनावट इसे अन्य पेड़ों से अलग बनाती है. कुछ दुकानें इसमें मसाला पेड़ा (हल्के मसालों के साथ) या चॉकलेटी पेड़ा जैसे नए स्वाद भी जोड़ती हैं, लेकिन पारंपरिक पेड़ा सादा और इलायची-केसर युक्त होता है.
मथुरा का पेड़ा घर पर बनाकर आप इस पारंपरिक मिठाई का लुत्फ उठा सकते हैं और इसे त्योहारों या खास मौकों पर मेहमानों को परोस सकते हैं. ये इतने सॉफ्ट होते हैं क मुंह में रखते ही इनका स्वाद घुल जाता है.