barabanki famous temple

पांडवों की स्थापना से लेकर वर्तमान तक, महाभारत युगीन सिद्धेश्वर महादेव मंदिर की अनोखी कहानी

Barabanki Siddheshwar Mahadev Temple: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के सिद्धौर नगर पंचायत में स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि इतिहास और आस्था का जीवंत प्रमाण है. मान्यता है कि इस मंदिर का शिवलिंग स्वयं महाभारत काल का है और इसे पांडवों ने अपने वनवास काल के दौरान स्थापित किया था. यही कारण है कि यह मंदिर न सिर्फ स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए बल्कि पूरे प्रदेश के भक्तों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र बन चुका है.

पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग
मंदिर समिति और शिलालेखों के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों ने वनवास के समय इस घने जंगल वाले क्षेत्र में शिवलिंग की स्थापना की थी. कालांतर में यह शिवलिंग झाड़ियों और जंगल में छिप गया. कहा जाता है कि काशी विश्वनाथ में कार्यरत डिप्टी कलेक्टर हरिशरण दास को स्वप्न में इस शिवलिंग का संकेत मिला. वे त्यागपत्र देकर सिद्धौर आए और शिवलिंग की खोज की. दर्शन करने के बाद उन्होंने सन्यास ले लिया और मंदिर निर्माण की नींव रखी.

राजा अजीत और सिद्धार्थ से जुड़ा इतिहास
इस मंदिर के साथ एक और मान्यता भी जुड़ी है. जनश्रुतियों के अनुसार, भरतवंशी राजा अजीत, जो अवध राज्य के अधीन थे, भगवान शिव को अपना इष्टदेव मानते थे. वे शाक्यवंशी कपिलवस्तु के राजा शुद्धोधन (गौतम बुद्ध के पिता) के मित्र थे. दोनों ने संतान प्राप्ति के लिए इसी शिवलिंग पर पूजा-अर्चना की थी. राजा अजीत को दो पुत्र- सिद्धशरण और धनीषचंद्र प्राप्त हुए, जिन्होंने क्रमशः सिद्धठौर और धनौरा गांव बसाए. वहीं, राजा शुद्धोधन के पुत्र सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) हुए, जिन्होंने आगे चलकर बौद्ध धर्म की स्थापना की.

मंदिर की वास्तुकला और जीर्णोद्धार
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर की वास्तुकला और नक्काशी अपने आप में अद्वितीय है. मान्यता है कि राजा अजीत ने कसौटी पत्थर से शिव विग्रह बनवाकर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया था. समय के साथ मंदिर का स्वरूप बदला और कई बार इसका जीर्णोद्धार हुआ.

वर्ष 1992 से महंत अनिल पुरी के नेतृत्व में मंदिर परिसर में कई विकास कार्य हुए. मंदिर में आज विशाल शिव प्रतिमा, हवन कुंड, अभरण तालाब और आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. परिसर में दो दर्जन से अधिक सोलर लाइटें लगाई गई हैं.

धार्मिक महत्व और मेले
यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है. हर साल यहां सावनी मेला और महाशिवरात्रि का आयोजन धूमधाम से होता है. शिव बारात और भंडारे में न सिर्फ स्थानीय लोग बल्कि दूर-दराज से आए श्रद्धालु भी शामिल होते हैं.

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क्यों खास है सिद्धेश्वर महादेव मंदिर?
महाभारत कालीन शिवलिंग की स्थापना.
राजा अजीत और राजा शुद्धोधन की पूजा-अर्चना से जुड़ा ऐतिहासिक महत्व.
काशी विश्वनाथ के डिप्टी कलेक्टर हरिशरण दास की आस्था और त्याग की कहानी.
अनूठी वास्तुकला, भव्य मंदिर और आधुनिक स्वरूप.

सावन और शिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़
बाराबंकी का सिद्धेश्वर महादेव मंदिर केवल पूजा-अर्चना का स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, आस्था और संस्कृति का अद्भुत संगम है. पांडवों की कथा से लेकर बौद्ध धर्म और आधुनिक काल तक, यह मंदिर हर युग में अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है.

Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं-परंपराओं के अनुसार हैं. Readmeloud इनकी पुष्टि नहीं करता है.

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