Health Desk: आज के डिजिटल दौर में हम में से ज़्यादातर लोग स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी (Health Information) सोशल मीडिया, व्हाट्सऐप, यूट्यूब या इंस्टाग्राम से प्राप्त करते हैं. कोई बताता है कि सिर्फ नींबू पानी से वजन घट सकता है, तो कोई दावा करता है कि हल्दी हर बीमारी की दवा है. लेकिन इन दावों में कितनी सच्चाई है?
हाल के एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में करीब 68% लोग सोशल मीडिया पर मिले हेल्थ मैसेज को बिना जांचे मान लेते हैं, जिससे गलत दवा, देरी से इलाज या गंभीर स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं.
आइए जानते हैं कि गलत हेल्थ मैसेज से कैसे बचें और असली-नकली स्वास्थ्य जानकारी को पहचानें.
हेल्थ मेसेज पर आंख बंद कर भरोसा न करें
कई फेक मैसेज ‘डॉक्टर ने बताया है’ या ‘AIIMS की रिसर्च’ जैसे वाक्यों से शुरू होते हैं, ताकि उन्हें असली दिखाया जा सके. हमेशा देखें कि मैसेज में कोई प्रमाणिक स्रोत है या नहीं. अगर किसी दावा के साथ अधिकृत संस्था का नाम नहीं दिया गया है या लिंक किसी संदिग्ध वेबसाइट से जुड़ा है, तो उस पर भरोसा न करें.
इलाज के लिए सिर्फ इंटरनेट नहीं, डॉक्टर से सलाह लें
इंटरनेट से मिली जानकारी सिर्फ प्राथमिक समझ के लिए होनी चाहिए, इलाज का विकल्प नहीं. कई बार ‘घरेलू नुस्खे’ या ‘100% प्राकृतिक इलाज’ जैसे वीडियो लोगों को दवा छोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं, जो खतरनाक हो सकता है. किसी भी उपचार को अपनाने से पहले डॉक्टर या प्रमाणित हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें.
स्रोत की विश्वसनीयता जांचें
जानकारी पढ़ने से पहले देखें कि वह कहां से आई हैय़ क्या यह सरकारी संस्था (जैसे WHO, ICMR, AIIMS, MoHFW) की साइट से है? क्या लेखक डॉक्टर या प्रमाणित विशेषज्ञ है? क्या जानकारी में शोध या अध्ययन का ज़िक्र है? अगर जवाब ‘नहीं’ है, तो यह खबर झूठी या अधूरी हो सकती है.
फॉरवर्ड करने से पहले फैक्ट-चेक करें
हेल्थ से जुड़े झूठे मैसेज अक्सर व्हाट्सऐप ग्रुप्स और फेसबुक पोस्ट्स के ज़रिए फैलते हैं. कई प्लेटफॉर्म जैसे PIB Fact Check, Alt News Health, और BOOM Live इस तरह के झूठे दावों की जांच करते हैं. किसी भी हेल्थ वीडियो या मैसेज को शेयर करने से पहले उसे इन साइट्स पर सर्च करके वेरिफाई करें.
‘चमत्कारी इलाज’ या ‘गुप्त दवा’ जैसे दावे हमेशा फेक होते हैं
अगर कोई वीडियो या पोस्ट कहता है कि ‘3 दिन में शुगर खत्म’, ‘कैंसर का घरेलू इलाज’, या ‘सिर्फ एक दवा से सब बीमारियां गायब’ तो समझ लीजिए कि यह फेक इंफॉर्मेशन है. असली दवाएं और इलाज कभी गुप्त नहीं होते, वे क्लिनिकल रिसर्च और ट्रायल्स के बाद ही मान्य किए जाते हैं.
हेल्थ इन्फ्लुएंसर से सावधान रहें
सोशल मीडिया पर कई हेल्थ इन्फ्लुएंसर सलाह देते हैं, लेकिन सभी योग्य नहीं होते. किसी भी सलाह पर अमल करने से पहले देखें कि क्या उस व्यक्ति की मेडिकल क्वालिफिकेशन या अनुभव है. फिटनेस ट्रेनर, न्यूट्रिशनिस्ट और डॉक्टर, तीनों के दायरे अलग-अलग होते हैं.
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खुद को डिजिटल रूप से शिक्षित करें
फेक हेल्थ न्यूज़ से बचने का सबसे अच्छा तरीका है डिजिटल लिटरेसी बढ़ाना. WHO और भारत सरकार की वेबसाइट्स जैसे https://www.mygov.in
और https://www.nhp.gov.in पर आपको सत्यापित और प्रमाणिक जानकारी मिलेगी.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
AIIMS और ICMR के डॉक्टरों का कहना है कि गलत स्वास्थ्य जानकारी अब ‘डिजिटल महामारी’ बन चुकी है. कई मरीज इलाज के बजाय सोशल मीडिया सलाह पर भरोसा करके अस्पताल देर से पहुंचते हैं, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है. ‘किसी भी इलाज या घरेलू नुस्खे को अपनाने से पहले डॉक्टर से राय लेना ही सबसे बड़ा ‘सेफ्टी टूल’ है.’
ध्यान दें कि गलत हेल्थ जानकारी सिर्फ भ्रम नहीं फैलाती, बल्कि जीवन को भी खतरे में डाल सकती है. इसलिए हर मैसेज, वीडियो या न्यूज़ को जांचें, समझें और सोचें. तभी भरोसा करें. सही जानकारी ही असली दवा है.

