किनारे पर है कश्ती, फिर भी निकल नहीं पा रही हूं
उलझी हूं मैं खुद में,सुलझ नहीं पा रही हूं,किनारे पर है कश्ती,फिर भी निकल नहीं पा रही हूं. मन परेशान […]
किनारे पर है कश्ती, फिर भी निकल नहीं पा रही हूं और देखें »
उलझी हूं मैं खुद में,सुलझ नहीं पा रही हूं,किनारे पर है कश्ती,फिर भी निकल नहीं पा रही हूं. मन परेशान […]
किनारे पर है कश्ती, फिर भी निकल नहीं पा रही हूं और देखें »
ये फरवरी, मार्च, अप्रैल का महीनान जाने क्या रंग दिखलाता है,साल भर अच्छा रहने वाला दोस्तखुद ही दुश्मन बन जाता
ये फरवरी, मार्च, अप्रैल का महीना, न जाने क्या रंग दिखलाता है… और देखें »
उलझनें तुम्हारी कोई नहीं समझेगा,उलझने को हर कोई, और उलझेगा.क्या बीत रही है तुम पर,जानबूझ कर कोई नहीं पूछेगा.बताना भी
उलझनें तुम्हारी कोई नहीं समझेगा, उलझने को हर कोई, और उलझेगा! और देखें »
एक छोटी सी कहानी है,जो सबको सुनानी है.न इसमें कोई राजा है,और न ही इसमें कोई रानी है,एक छोटी सी
एक छोटी सी कहानी है, जो सबको सुनानी है और देखें »
तुमसे इश्क़ किया तो जाना है,तुम्हारे कंधों पर अनगिनत जिम्मेदारियों का ताना-बाना है.तुम सिर्फ मेरे पति नहीं हो,बेटा हो, भाई
तुमसे इश्क़ किया तो जाना है…. और देखें »
कुछ महीने पहले मेरी जिंदगी कुछ और ही थी. बेफ्रिक चलना, घूमना-फिरना, कुछ भी खाना. फिर यह सिलसिला थम सा
जब पनपती जिंदगी ने पहली किक मारी… और देखें »
क्यों आती है शर्म तुम्हें,तुम क्यों छिपाती हो,जानने दो सबको कि हर महीनेजिस्म से तुम कितना खून बहाती हो? आने
जानने दो सबको कि हर महीने, जिस्म से तुम कितना खून बहाती हो! और देखें »
मुझे सफल खुद से ज्यादा, दूसरों के लिए होना है,जिनकी नजर में मेरी मेहनत मिट्टी का खिलौना है.वो जिन्होंने देखी
मुझे सफल खुद से ज्यादा, दूसरों के लिए होना है! और देखें »
ऐ इंसान तू भी क्या कमाल है,आंखों पर तेरी कैसे भ्रमों का जाल है?खुद को कभी सिख, हिंदू तोकभी कहता
ऐ इंसान तू भी क्या कमाल है, आंखों पर तेरी कैसे भ्रमों का जाल है और देखें »
हां, मुझे अपने हाथों से मोहब्बत है,लिखी जिनमें मेरी किस्मत है. कभी पापा ने पकड़ चलना सिखाया था,कभी मां ने
हां, मुझे अपने हाथों से मोहब्बत है और देखें »
जमाने से हो रही हूं तन्हा,अब आकर मिल मुझे तू कान्हा.गोपियां तू हजार दिल में बसाना,मुझे कभी भी न भुलाना.
जमाने से हो रही हूं तन्हा, ओ मेरे कान्हा और देखें »