kinare par hai kashti

किनारे पर है कश्ती, फिर भी निकल नहीं पा रही हूं

उलझी हूं मैं खुद में,सुलझ नहीं पा रही हूं,किनारे पर है कश्ती,फिर भी निकल नहीं पा रही हूं. मन परेशान […]

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chatukarita

ये फरवरी, मार्च, अप्रैल का महीना, न जाने क्या रंग दिखलाता है…

ये फरवरी, मार्च, अप्रैल का महीनान जाने क्या रंग दिखलाता है,साल भर अच्छा रहने वाला दोस्तखुद ही दुश्मन बन जाता

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uljhanen tumhari koi nahi s

उलझनें तुम्हारी कोई नहीं समझेगा, उलझने को हर कोई, और उलझेगा!

उलझनें तुम्हारी कोई नहीं समझेगा,उलझने को हर कोई, और उलझेगा.क्या बीत रही है तुम पर,जानबूझ कर कोई नहीं पूछेगा.बताना भी

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periods par peom

जानने दो सबको कि हर महीने, जिस्म से तुम कितना खून बहाती हो!

क्यों आती है शर्म तुम्हें,तुम क्यों छिपाती हो,जानने दो सबको कि हर महीनेजिस्म से तुम कितना खून बहाती हो? आने

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safalta par kavita

मुझे सफल खुद से ज्यादा, दूसरों के लिए होना है!

मुझे सफल खुद से ज्यादा, दूसरों के लिए होना है,जिनकी नजर में मेरी मेहनत मिट्टी का खिलौना है.वो जिन्होंने देखी

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berojgari hindu muslim

ऐ इंसान तू भी क्या कमाल है, आंखों पर तेरी कैसे भ्रमों का जाल है

ऐ इंसान तू भी क्या कमाल है,आंखों पर तेरी कैसे भ्रमों का जाल है?खुद को कभी सिख, हिंदू तोकभी कहता

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