Janmashtami 2025: जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व है. यह हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व श्रीकृष्ण की लीलाओं, भक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है. इस दिन तमाम कृष्ण भक्त व्रत रखते हैं. यह व्रत दो तरह से मनाया जाता है- पहला निर्जला व्रत और दूसरा फलाहारी व्रत.
क्या है निर्जला व्रत
इसमें भक्त पूरे दिन और रात (मध्यरात्रि तक) बिना जल और भोजन के उपवास रखते हैं. इसमें सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लेते हैं. पूरे दिन भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण, भजन-कीर्तन और कथाएं सुनते हैं. मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण जन्म के बाद पूजा और भोग अर्पित कर व्रत खोलें. यह व्रत कठिन होता है और इसे स्वस्थ लोग ही रखते हैं.
क्या है फलाहारी व्रत
इसमें भक्त अन्न का सेवन नहीं करते, लेकिन फल, दूध, दही, और सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं. सुबह संकल्प लें और सात्विक भोजन (जैसे फल, दूध, मखाना, साबूदाना) लें. नमक, अनाज, और तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन आदि) से परहेज करें. मध्यरात्रि पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें. यह व्रत बुजुर्गों, बच्चों या कमजोर स्वास्थ्य वालों के लिए ठीक माना जाता है.
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
व्रत के नियम व्रत के दिन तामसिक भोजन, मांस, मदिरा, और क्रोध-वासना से दूर रहें. दिनभर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति, भजन, और कथाएं (जैसे भागवत पुराण) सुनें. ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक जीवनशैली अपनाएं. मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण जन्म के समय (रात्रि 12 बजे) पूजा करें.
जन्माष्टमी पूजन सामग्री:
श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र, पूजा थाली, घंटी, दीपक, धूप, अगरबत्ती, फूल, तुलसी पत्र, चंदन, कुमकुम, अक्षत (चावल), पंचामृत के लिए दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का मिश्रण, भोग के लिए माखन, मिश्री, खीरा, पंजीरी, मिठाई, फल, डंठल वाला खीरा (विशेष रूप से व्रज क्षेत्र में). इसके अलावा जल, गंगाजल, कपूर, झूला (श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के लिए), भजन पुस्तक या श्रीमद्भगवद्गीता.
ऐसे करें पूजन
पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें. एक चौकी पर स्वच्छ लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर श्रीकृष्ण की मूर्ति/चित्र स्थापित करें. बालकृष्ण की मूर्ति को झूले में सजाएं. इसके बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल पर बैठें. हाथ में जल, फूल, और अक्षत लेकर व्रत और पूजा का संकल्प करें. भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करें और उन्हें आवाहन करें. मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं.
अभिषेक कैसे करें
पंचामृत से श्रीकृष्ण की मूर्ति का अभिषेक करें. प्रत्येक सामग्री (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से स्नान कराने के बाद स्वच्छ जल से स्नान कराएं. मूर्ति को स्वच्छ कपड़े से पोंछकर वस्त्र और आभूषण पहनाएं.
पूजा की विधि :मूर्ति पर चंदन, कुमकुम, अक्षत, और तुलसी पत्र अर्पित करें. फूलों की माला चढ़ाएं और धूप-दीप जलाएं. श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करें. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का 108 बार भी जाप कर सकते हैं. कृष्ण गायत्री मंत्र: ॐ देवकीनंदनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात् का जाप भी फलदाई माना जाता है. श्रीमद्भगवद्गीता या भागवत पुराण का पाठ करें.
श्रीकृष्ण को अर्पित करें भोग
भगवान को माखन, मिश्री, खीरा, पंजीरी, और अन्य सात्विक मिठाइयां अर्पित करें. डंठल वाला खीरा काटकर भोग में शामिल करें. यह श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी का प्रतीक है. भोग अर्पित करते समय कहें: “हे श्रीकृष्ण, यह भोग स्वीकार करें.” “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” या श्रीकृष्ण की अन्य आरती करें. कपूर जलाकर आरती करें और सभी भक्तों को तिलक लगाएं.
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जरूर काटें डंठल वाला खीरा
आधी रात में श्रीकृष्ण के जन्म के समय डंठल वाला खीरा काटा जाता है. यह उनके जन्म और दही-हांडी परंपरा का प्रतीक है. खीरे को काटकर उसका रस निकाला जाता है और प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें. भक्तों में प्रसाद वितरित करें.
पूजा के समय का रखें ध्यानजन्माष्टमी की पूजा मध्यरात्रि (लगभग 12 बजे) में की जाती है, क्योंकि श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था.
पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का समय देखकर पूजा करें.
जन्माष्टमी 2025 का समयतिथि: 15 अगस्त 2025 (पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र की पुष्टि करें.
पूजा मुहूर्त: मध्यरात्रि (लगभग 11:30 PM से 12:30 AM).
व्रत पारण: अगले दिन सुबह, अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद.
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी के लाभभगवान श्रीकृष्ण की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. व्रत और पूजा से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है. परिवार में सुख-समृद्धि और एकता बढ़ती है.
Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं-परंपराओं के अनुसार हैं. Readmeloud इनकी पुष्टि नहीं करता है.