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ग्रेटर नोएडा: एक प्लॉट, तीन दावेदार! ₹40 लाख में खरीदी जमीन पर बवाल

Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा के बिसरख इलाके में एक बार फिर जमीन खरीद-फरोख्त के जालसाजी नेटवर्क का मामला सामने आया है. साईं उपवन सोसायटी की दो महिलाओं को बिना जांच-पड़ताल किए प्लॉट खरीदना इतना भारी पड़ा कि आज वे अपनी ही खरीदी हुई जमीन पर कदम नहीं रख पा रहीं. अब यह मामला बिसरख कोतवाली तक पहुंच गया है, जहां पुलिस ने प्रॉपर्टी डीलर सुभाष यादव, कृष्ण यादव और उनके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

कैसे शुरू हुआ विवाद?
साईं उपवन सोसायटी में रहने वाली बबली और उनके पति अरविंद ने अक्टूबर 2023 में चिपियाना बुजुर्ग क्षेत्र में 100 वर्ग गज का प्लॉट खरीदा था.
यह सौदा प्रॉपर्टी डीलर सुभाष यादव के माध्यम से किया गया था, जिन्होंने प्लॉट मालिक के तौर पर अविनाश सिंह और विपिन कुमार के नाम बताए. दंपती ने लगभग ₹40 लाख रुपये में यह जमीन खरीदी और रजिस्ट्री भी विधिवत कराई.

इसी इलाके में उनके पड़ोसी शरद राघव ने भी साईं उपवन में रहकर दूसरा प्लॉट खरीदा था. सबकुछ सामान्य चल रहा था. जब तक की 30 जुलाई 2024 को एक नया नाम कृष्ण यादव इस कहानी में शामिल नहीं हुआ.

निर्माण रोकने पहुंचा नया ‘मालिक’
पीड़ित दंपती के मुताबिक, 30 जुलाई को नई दिल्ली के संगम विहार निवासी कृष्ण यादव अपने 10-12 साथियों के साथ मौके पर पहुंचे और प्लॉट पर कब्जा जमाने लगे. उन्होंने शरद राघव के साथ-साथ बबली-अरविंद के प्लॉट को भी ‘अपना बताकर’ निर्माण कार्य रोक दिया. विरोध करने पर उन्होंने दंपती को धमकाया और चेतावनी देकर लौट गए.

21 अक्टूबर 2024 को जब दंपति दोबारा निर्माण कार्य शुरू करने पहुंचे, तो कृष्ण यादव अपने बेटे और साथियों के साथ फिर आए और दोबारा काम रुकवा दिया.

डीलर ने भी बदला बयान, बढ़ा विवाद
मामला तब और उलझ गया जब दंपती ने मौके पर प्रॉपर्टी डीलर सुभाष यादव को बुलाया. शुरुआत में सुभाष ने यही जमीन अविनाश सिंह और विपिन कुमार से बिकवाने की बात कही थी, लेकिन जब विवाद बढ़ा तो वही सुभाष यादव भूखंड को कृष्ण यादव का बताने लगे.

इस विरोधाभास ने पूरे सौदे की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए. अब पीड़ित दंपती ने पुलिस कमिश्नर से गुहार लगाई है कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और उनकी मेहनत की कमाई से खरीदी जमीन को वापस दिलाया जाए.

क्या है दूसरा मामला
दूसरा मामला भी जुड़ा उसी डीलर से इसी सोसायटी की एक और महिला, दीपा राघव (पत्नी: शरद राघव) ने भी इसी तरह का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि दिलशाद खान नाम के व्यक्ति ने उन्हें वही प्लॉट दिखाया था, और कहा कि यह सुभाष यादव का है. दीपा राघव ने ₹23 लाख 65 हजार का भुगतान कर रजिस्ट्री करा ली. लेकिन जब चारदीवारी करवाने गईं तो अन्य लोगों ने उसी जमीन पर अपना दावा पेश करते हुए काम रुकवा दिया.

दीपा राघव ने भी सुभाष यादव, महेंद्र यादव और दिलशाद खान के खिलाफ बिसरख कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई है, यह आरोप लगाते हुए कि पहले से बेचे गए प्लॉट की दोबारा फर्जी रजिस्ट्री कराई गई है.

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पुलिस जांच में सामने आ सकते हैं बड़े नाम
पुलिस ने दोनों मामलों में धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकी देने जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. जांच में यह भी देखा जा रहा है कि क्या इलाके में फर्जी दस्तावेज़ बनवाकर प्लॉट दोबारा बेचने का संगठित नेटवर्क सक्रिय है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बिसरख और चिपियाना क्षेत्र में ऐसे कई मामले हैं जहाँ एक ही प्लॉट की कई रजिस्ट्री कर दी जाती है, और खरीदार को असली-नकली का फर्क बाद में पता चलता है.

बिना जांच न खरीदें जमीन
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का कहना है कि प्लॉट या जमीन खरीदने से पहले खरीदार को हमेशा भूमि अभिलेख (Land Record), रजिस्ट्री नंबर, GDA या ग्राम पंचायत अनुमोदन की जांच करनी चाहिए. सिर्फ डीलर के भरोसे सौदा करना आगे चलकर बड़ी मुसीबत में बदल सकता है. ठीक उसी तरह, जैसे बबली और दीपा राघव के साथ हुआ.

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