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Karwa Chauth 2025: व्रत में भूलकर भी न करें ये 7 गलतियां, वरना बिगड़ सकता है पूरा फल!

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे पावन और महत्वपूर्ण व्रतों में गिना जाता है. यह व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. परंपरा के अनुसार, विवाहित स्त्रियां इस दिन सुखी और लंबे दांपत्य जीवन की कामना से व्रत करती हैं. इस व्रत में महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला उपवास रखती हैं. रात में जब चंद्रमा निकलता है, तो उसका दर्शन कर अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है. व्रत का पारण पति अपने हाथों से पत्नी को पानी और मिठाई खिलाकर कराते हैं.

कौन-कौन रखता है यह व्रत?
करवा चौथ का व्रत सिर्फ विवाहित स्त्रियों तक ही सीमित नहीं है.
विवाहित महिलाएं: पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं.
अविवाहित लड़कियां: मनचाहा और आदर्श वर पाने के लिए यह उपवास करती हैं.

सास-बहू परंपरा: इस दिन बहू के व्रत की शुरुआत सरगी से होती है, जो सास अपनी बहू को देती है. इसमें फल, मिठाई, मेवे, सुहाग की वस्तुएं और कभी-कभी गहने भी शामिल किए जाते हैं. यह परंपरा सास और बहू के रिश्ते को मधुर बनाने का प्रतीक मानी जाती है.

करवा चौथ पर न करें ये 7 गलतियां
इस व्रत को पवित्रता और कठोर नियमों के साथ करने की परंपरा है. छोटी-सी गलती भी पूरे दिन के व्रत को व्यर्थ कर सकती है. जानिए वे बातें जिनसे बचना जरूरी है:

धारदार वस्तुओं का इस्तेमाल
करवा चौथ पर सुई, कैंची, चाकू जैसी धारदार चीजों का इस्तेमाल अशुभ माना जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत का फल कम हो जाता है.

दिन में सोना
शास्त्रों के अनुसार, व्रत के दौरान दिन में सोना वर्जित है. यह आलस्य का प्रतीक माना जाता है और व्रत का पुण्य घटा देता है. इस दिन शरीर और मन को भगवान के प्रति समर्पित रखना चाहिए.

चांद निकलने से पहले व्रत तोड़ना
करवा चौथ का व्रत तभी पूर्ण होता है जब महिलाएं चंद्रमा का दर्शन कर उसे अर्घ्य दें. अगर किसी कारणवश चांद से पहले व्रत खोला जाए, तो व्रत का कोई फल नहीं मिलता.

अनाज या जल का सेवन
यह उपवास निर्जला होता है. सूर्योदय से पहले सरगी खाने के बाद महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए रहती हैं. दिन में यदि भूल से भी कुछ खा या पी लिया, तो व्रत खंडित हो जाता है.

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सुहाग की सामग्री दान करना
करवा चौथ पर सुहागिन महिलाओं को सुहाग की सामग्री (जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर) का दान करना शुभ माना जाता है लेकिन अपनी व्यक्तिगत सुहाग सामग्री दान करना अशुभ होता है.

किसी का अपमान करना
यह व्रत प्रेम, सम्मान और समर्पण का प्रतीक है. इस दिन जीवनसाथी या परिवार के किसी बड़े का अपमान, गुस्सा, झगड़ा या अपशब्द व्रत की पवित्रता को बिगाड़ सकता है.

क्रोध और नकारात्मकता
करवा चौथ का व्रत सकारात्मकता और शुभता का पर्व है. इसलिए इस दिन मन और वाणी को नियंत्रित रखते हुए केवल अच्छे विचारों पर ध्यान देना चाहिए.

करवा चौथ का व्रत सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं है बल्कि यह प्यार, विश्वास और रिश्तों की गहराई का प्रतीक है. सही नियमों का पालन करने पर यह व्रत वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और दांपत्य प्रेम को और भी प्रगाढ़ बना देता है.

Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं-परंपराओं के अनुसार हैं. Readmeloud इनकी पुष्टि नहीं करता है.

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