Shardiya Navratri 2025 Day 1: हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होता है. साल 2025 में यह पर्व 3 अक्टूबर से प्रारंभ होगा. नवरात्रि के पहले दिन भक्त मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि मां शैलपुत्री की आराधना से साधक को सुख-समृद्धि, सौभाग्य और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.
मां शैलपुत्री का स्वरूप
सनातन शास्त्रों के अनुसार, मां शैलपुत्री बेहद दयालु और कृपालु मानी जाती हैं. उनके मुखमंडल पर तेज और कांति है, जो तीनों लोकों का कल्याण करता है.
वे दो भुजाधारी हैं – दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प धारण करती हैं. मां की सवारी वृषभ यानी की बैल है. उनकी पूजा से जीवन में स्थिरता और शक्ति की प्राप्ति होती है.
शुभ मुहूर्त – Shardiya Navratri 2025
पंचांग के अनुसार नवरात्रि की घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा के लिए विशेष मुहूर्त होगा:
प्रातः कालीन मुहूर्त: सुबह 06:15 बजे से 07:22 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:46 बजे से 12:33 बजे तक
इन शुभ योगों में घटस्थापना और मां शैलपुत्री की आराधना करना अत्यंत फलदायी रहेगा.
जानिए पूजा विधि – Maa Shailputri Puja Vidhi
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर मां शैलपुत्री का ध्यान करें. घर की साफ-सफाई और गंगाजल का छिड़काव करें. स्नान कर व्रत का संकल्प लें और लाल वस्त्र धारण करें. सूर्य देव को जल अर्पित करें. पूजा स्थान पर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. कलश स्थापना कर देवी का आह्वान मंत्रों से करें.
ध्यान मंत्र:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्.
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
स्तोत्र मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां को सफेद फूल, फल, वस्त्र, नारियल, हल्दी, चंदन, पान, सुपारी और मिष्ठान अर्पित करें. चालीसा, स्तोत्र और मंत्र का जप करें. अंत में मां की आरती कर सुख, समृद्धि और आयु की प्रार्थना करें.
व्रत और उपासना का महत्व
दिनभर व्रत रखकर शाम को आरती और फलाहार करें. भजन-कीर्तन और स्तुति से मां की कृपा प्राप्त होती है. मां शैलपुत्री की उपासना जीवन में आने वाली रुकावटों को दूर करती है.
Shardiya Navratri 2025 की शुरुआत मां शैलपुत्री की आराधना से होगी. उनकी पूजा विधि और मंत्र का महत्व अपार है. इस दिन किए गए व्रत और उपासना से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का आगमन होता है.
Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं-परंपराओं के अनुसार हैं. Readmeloud इनकी पुष्टि नहीं करता है.