नादां नहीं

महसूस कर ये चाहतें, नादां नहीं जरा चुलबुली हूं मैं

तुम घने जंगल,तो लकड़ी हूं मैं,तुम लहराते सागर,तैरती इक मछली हूं मैं. भूलकर न गई तेरी नजर,बनारस की वो गली

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