….हां हम बड़े हो गए
वो दिन बड़े सुहाने थे, जब हम सबसे बेगाने थे,गुड्डे-गुड़ियों के खेल थे, जज्बातों के मेल थे,जमाने वो अनसुने हो […]
वो दिन बड़े सुहाने थे, जब हम सबसे बेगाने थे,गुड्डे-गुड़ियों के खेल थे, जज्बातों के मेल थे,जमाने वो अनसुने हो […]
अजब सा सुकून आज मेरे दिल में छाया है,इक प्यारा सा घरौंदा मेरे घर में नजर आया है. कभी मैं
तुम घने जंगल,तो लकड़ी हूं मैं,तुम लहराते सागर,तैरती इक मछली हूं मैं. भूलकर न गई तेरी नजर,बनारस की वो गली
महसूस कर ये चाहतें, नादां नहीं जरा चुलबुली हूं मैं और देखें »