अक्सर किसी ज्योतिष और पंडित को ये कहते हुए सुना जाता है कि कुंडली में मांगलिक दोष है लेकिन आखिर ये मांगलिक दोष है क्या, किसी की जन्मपत्रिका में इस दोष के होने से क्या प्रभाव होता है और अगर वो प्रभाव नकारात्मक हैं तो उनके लिए क्या किया जा सकता है?
आमतौर पर मांगलिक शब्द तब सुनाई देता है, जब कन्याएं शादी के योग्य नजर आने लगती हैं. कई बार कुंडली मिलान पर बात आकर अटक जाती है. कभी लड़की मांगलिक निकलती है तो कभी लड़का. इसके चलते कई अच्छे संबंध बनते-बनते रह जाते हैं. तो आइए जानते हैं मांगलिक होने का अर्थ….
कुंडली में मांगलिक होने का अर्थ
शादी के लिए मंगल का स्थान, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवां भाव है.
केवल आठवां और बारहवां भाव सामान्य तौर पर खराब माना जाता है.
विशेष परिस्थितियों में इन स्थानों पर बैठा मंगल भी अच्छे परिणाम दे सकता है.
यह भी पढे़ें- न हों निराश, ऐसे बनते हैं अचानक धन प्राप्ति के योग! बारिश की तरह बरसेंगे रुपये-पैसे
चौथे भाव का मंगल जातक को काफी कठिन पारिवारिक पृष्ठभूमि देता है.
सातवें स्थान का मंगल जातक को साथी या सहयोगी के प्रति कठोर बनाता है.
यह भी पढे़ें- Daan Punya: अपने द्वार से कभी खाली हाथ न भेजें इन लोगों को, भुगतने पड़ेंगे अशुभ परिणाम
आठवें और बारहवें स्थान का मंगल शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित करता है.
आला दर्जे का सर्जन भी मांगलिक हो सकता है और एक डाकू भी
उच्च स्तरीय मैनेजर और सेना के अधिकारी में भी देखा जा सकता है.
(Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं-परंपराओं के अनुसार हैं. Readmeloud इनकी पुष्टि नहीं करता है.)