शमी के पेड़ पर कलावा बांधना चाहिए कि नहीं?
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शमी के पेड़ पर कलावा बांधना चाहिए कि नहीं?

Dharm News: हिंदू धर्म में शमी के पौधे का विशेष महत्व है. यह लगभग सभी घरों में मौजूद होता है. इसकी पूजा की जाती है. शमी का पेड़ आस्था और शक्ति का प्रतीक माना जाता है. शनि अमावस्या, नवरात्रि हो या फिर शनि पूजा, इस दौरान इसकी पूजा की जाती है. कुछ लोग तो शमी के पौधे में कलावा भी बांधते हैं. ऐसे में आपके मन में सवाल आता होगा कि शमी के पौधे पर कलावा बांधना चाहिए कि नहीं.

शमी के पेड़ को अर्जुन और भगवान शनि दोनों से ही जुड़ा हुआ माना जाता है. यह पापों से मुक्ति दिलाने का प्रतीक है. साथ ही युद्ध में जीत का भी संकेत माना जाता है. वहीं, दूसरी तरफ हिंदू धर्म में मौली यानी कि कलावा भी रक्षा सूत्र के तौर पर हाथों पर बांधा जाता है. कलावा श्रद्धा, सुरक्षा और संकल्प का प्रतीक होता है और यह विशेष कर देवी देवताओं की पूजा के समय बांधा जाता है.

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मान्यताओं के अनुसार, जो कोई भी शमी के पेड़ में कलावा बांधता है, उससे शनि देव प्रसन्न होते हैं और उस व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता, दिक्कतें और शनि दोष दूर होता है. अगर आप भी शमी के पेड़ पर कलावा बांधना चाहते हैं तो आपको शनिवार के दिन का चुनाव करना चाहिए. कलावा सूर्योदय के समय या फिर संध्या के समय शमी के पेड़ पर बांधना चाहिए. इससे अधिक फलदाई हो जाता है. साथ ही साथ इसे आप शनि दोष से भी छुटकारा पा सकते हैं.

सबसे पहले आपको शमी के पेड़ पर जल अर्पित करना है. फिर तिल के तेल का दिया जलाना है, फिर ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए कलeवा बांधना है. विशेष बात यह है कि कोई भी स्त्री पुरुष शमी के पेड़ पर कलावा बांध सकते हैं. इस परंपरा को निभाने के लिए किसी के एक जाति या परेशानी तक की सीमित नहीं होना होता है.

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साइंस की मुताबिक, हवा को शुद्ध करने में शमी के पेड़ की विशेष महत्ता रहती है. यह वातावरण को शांत बनाने में सहायता करता है, जो लोग नियमित रूप से शमी के पेड़ की पूजा करते हैं, उससे उनकी मेंटल हेल्थ भी अच्छी रहती है. शाम के पेड़ में कलावा बांधने को एक धार्मिक परंपरा से जोड़ा जाता है. इससे घर में सकारात्मकता का संचार होता है.

Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं-परंपराओं के अनुसार हैं. Readmeloud इनकी पुष्टि नहीं करता है.

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