हां, मैं एक वर्किंग मां हूं…
haan main ek working maa ho

हां, मैं एक वर्किंग मां हूं…

सुबह की घड़ी में अलार्म से पहले,
नींदें टूटती हैं, नजारे दिखते हैं धुंधले,
किसी तरह खुद को समझाती हूं,
नहा-धोकर ऑफस के लिए तैयार हो जाती हूं.
लोगों के लिए मतलबी इंसान हूं,
हां, मैं एक वर्किंग मां हूं.

तैयार होते हुए मन में आते हैं सौ सवाल,
देखने वाले कहते हैं जिंदगी है कमाल.
नन्हें हाथों की कोमल पकड़,
छूटती है रोज़, आंखों में रहती सिहर.
दिल में दबाए दर्द का गुबार हूं,
हां, मैं एक वर्किंग मां हूं.

….हां हम बड़े हो गए

दूध की बोतल, आंसुओं से भीगते गाल,
तड़पता दिल पूछता है एक सवाल.
क्या वो समझेगा मेरी कमी?
या वक्त बना देगा उसे अजनबी?
कभी उगता सूरज, कभी निशा हूं,
हां, मैं एक वर्किंग मां हूं.

बैग में लैपटॉप, दिल में कसक,
ऑफिस में चेहरे पर झूठी चमक.
मीटिंग में मांगता है मन ध्यान,
सोचती हूं कुछ खाया भी होगा मेरी जान.
उसके एहसासों में जीती गुमां हूं,
हां, मैं एक वर्किंग मां हूं.

डेस्क पर रिपोर्ट, सोच में बच्चा,
रोता होगा या फिर होगा मुस्कुराता.
खा नहीं पाती लंच बॉक्स की रोटी सब्ज़ी,
दिल में बसती है उससे जुड़ी हर ख़ुशी.
निगाहें उसकी पूछती- आखिर मैं कहां हूं?
हां, मैं एक वर्किंग मां हूं.

शाम को लौटूं तो आंखें तरसें,
कभी हंसी, तो कभी शिकवे बरसें।
सोचती हूं – क्या मैं बुरी मां हूं?
या फिर बस एक मजबूर इंसां हूं?
जाते समय नहीं जानती कहां हूं?
हां, मैं एक वर्किंग मां हूं.

मैं मां भी हूं और मज़बूरी भी,
हर फ़र्ज़ निभा रही हूं चुपचाप सी.
मेरा प्यार कम नहीं, बस वक़्त कम है,
मेरे बच्चे, तू ही मेरी दुनिया का दम है.
तुम चाहतों का बादल, मैं आसमां हूं,
हां, मैं एक वर्किंग मां हूं.

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