जिस दिन ब्याह कर आई थी,
मन में न जानें कितनी शंकाएं थी.
कैसा होगा नया परिवार,
ये सोच-सोच कर मन ही मन घबराई थी.
नए लोग होंगे, नए विचार होंगे,
कैसे नए विचारों को ये प्यार देंगे?
लोगों से सुना था सब टाइम पर करना,
वरना हर बात पर ताने हजार मिलेंगे.
किनारे पर है कश्ती, फिर भी निकल नहीं पा रही हूं
शादी से पहले अक्सर सोचा करती थी,
कैसे नए लोगों को अपना पाउंगी?
जिनकी छाया में जिंदगी गुजारी,
उन्हें छोड़कर एक नई मां को अपना पाऊंगी.
हालांकि ये सपना मेरा भी था,
जहां जाऊंगी, बस प्यार ही प्यार बरसाऊंगी.
छोटी-छोटी बातों को भूलकर,
सबकी ख़ुशियों को अपनी खुशियां बनाऊंगी.
फिर मेरी मुलाकात आपसे हुई मां,
जिनमें पाई मैंने अपनी देवकी की परछाईं,
दूसरे कहते रहे आप ‘सास’ हैं मेरी,
पर आप पहले ही दिन से मेरे लिए यशोदा बन गयी.
एहसास भी न होने दिया,
कि मैं दूसरे घर से थी आई.
मां की तरह दिया प्यार,
समाज को पीछे छोड़ आई.
हम लड़ते भी हैं, हम झगड़ते भी हैं,
कुछ बातों पर एक-दूसरे से बिगड़ते भी हैं.
पर बात जब आती है बात बिगड़ने की,
हम दोनों प्यार से एक-दूजे को समझते भी हैं.
बेशक मुझे जन्म नहीं दिया है आपने,
पर मैंने अपनी मैया यशोदा पाई है आपमें.
आयी तो थी आपके पास बहू बनकर,
पर आपने अपनाया बेटी बनाकर.
जानती हूं दिल में छिपा रखी आपने
न जानें कितनी ही बातें हैं,
पापा को याद करके आज भी
भीग जाती आपकी आंखें हैं.
कभी अपनों का संग छूटा है,
तो कभी मिला आपको धोखा है,
पर मजबूती से आपने खुद को
हर कदम-कदम पर रोका है.
छोटी-छोटी बातों पर
मिले समाज के ताने हैं,
नकाब पहनकर चेहरों पर
मिलते अक्सर सब बेगाने हैं.
समय लगता है परिंदों को घोंसला बनाने में,
लोगों ने नहीं छोड़ी कसर आपको आजमाने में,
बहू नहीं बेटी बनाकर लाई थी,
अब प्यार से साबित करूंगी खुद को जमाने में.
छोड़ जमाने की फिजूल बातों को
आपने मुझे अपनाया है,
न आएंगे कभी आपकी आंखों में आंसू,
इस बात का प्रण मैंने भी पाया है.
आपसे बस यही कहना है,
हंसी को बनाना आपके होठों का गहना है,
पूरा करना आपका हर सपना है,
आपके संग अब हमेशा रहना है.