मेरा सपना, मेरा बचपन
आज भी वो बचपन याद आता है.
वो तेरी-मेरी पेंसिल बड़ी-छोटी करना,
वो छोटा-छोटी बातों पर शिकायत करना,
वो फिर एक मिनट का रोना और एक
मिनट का हंसना बहुता याद आता है.
वो मम्मी के सोने पर जोर से शोर मचाना,
और न चुप होने पर मार खाना,
आज भी बहुत याद आता है.
वो तेरा-मेरा घर-घर खेलना,
वो एक साइकिल पर तेरा-मेरा घूमना,
बहुत याद आता है.
वो स्कूल न जाने के लिए पेट दर्द
का बहाना बनाना और फिर एक
चॉकलेट की बात सुनकर पेट दर्द भूल जाना
आज भी बहुत याद आता है.
-तुम्हारी स्नेहा
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