Jhalawar School Collapses: सुबह मां ने टिफिन में खाना पैक करते समय कहा था कि ‘बेटा लंच खाना मत भूलना’…. पिता ने बालों में कंघी करके ड्रेस पहनाई थी…. और जब वह बाहर जा रहा था तो अपने दादा-दादी के पैर छूकर उसने आशीर्वाद लिए कि ‘मैं स्कूल जा रहा हूं’….. सबके चेहरे पर मुस्कान थी कि हमारा बच्चा पढ़ाई करने के लिए जा रहा है लेकिन किसी को भी यह अंदेशा नहीं था कि जिस बच्चे को वह स्कूल ड्रेस में भेज रहे हैं, वह वापस उनके पास कफन में लौट कर आएगा.
परिवार के लोगों को जैसे ही पता चला कि जिस लाडले को उन्होंने स्कूल पढ़ने भेजा था, उसी स्कूल की छत गिर गई है तो वह नंगे पैरों घरों से दौड़ पड़े. रास्ते में किसी को कांटे चुभ रहे थे तो किसी के पैर में कंकड़ चुभे जा रहे थे. किसी को अपनी कोई परवाह नहीं थी सिवाय इस बात के…. कि उनका बच्चा सलामत भी है या फिर नहीं. हादसा स्थल पर पहुंचते ही उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. कल तक जो स्कूल नजर आ रहा था, आज वहां पर मलबा बिखरा पड़ा था. जहां पर बच्चे पढ़ाई कर रहे थे, वहां पर सीमेंट-ईंट का गारा फैला हुआ पड़ा था. तमाम लोग बचाव कार्य में जुटे हुए थे. एक-एक ईंट हटाकर देखी जा रही थी कि कहीं किसी बच्चे की तो सांसें चल रही हों तो उसे बचा लिया जाए……
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यह दर्दनाक दृश्य है राजस्थान के झालावाड़ जिले का, जहां पर 25 जुलाई शुक्रवार की सुबह एक सरकारी स्कूल की छत अचानक ढह गई, जिसमें उस समय करीब 60 से 70 बच्चे उसे स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे. मासूमों के हाथों में किताबें खुली हुई थी…. वह कुछ बनने का सपना लिए अपनी पढ़ाई करने में जुटे थे. कोई किसी के से रबड़ पेंसिल मांग रहा था तो कोई किसी को अपना टिफिन बॉक्स दिखा रहा था कि आज मैं खाने में यह लाया हूं…. लेकिन होनी को तो शायद कुछ और ही मंजूर था.
7 बच्चों की मौके पर ही थम गईं सांसें
जैसे ही मनोहर थाना क्षेत्र के पीपलोदी गांव में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल के पुराने भवन की छत गिरी, वैसे ही वहां पर चीख-पुकार मच गई. गांव वालों को एकदम से एक अजीबोगरीब आवाज सुनाई पड़ी और इसके बाद वहां पर हाहाकार मच गया. जो जैसी हालत में था, वैसे ही हालत में बच्चों को बचाने के लिए दौड़ पड़ा. बताया जा रहा है कि मौके पर ही करीब 7 बच्चों की मौत हो गई, वहीं 40 से ज्यादा बच्चे बुरी तरह से घायल हो गए.
हर कोई ढूंढ रहा था चलती सांसें
जहां पर हादसा हुआ, वहां पर सैकड़ों लोग आनन-फानन में मलबा हटाकर बच्चों को बचाने की जद्दोजहद में जुटे थे. हर किसी को उम्मीद थी कि हो सकता है कि वह किसी बच्चे की सांस बचा लें…. हो सकता है कि उनकी मेहनत से किसी के घर का चिराग बुझाने से बच जाए….. हादसा स्थल का जो वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रहा है, बस सुनने वालों का कलेजा फटा जा रहा है.
मलबे में मिलने वाले बच्चों को अस्पताल लेकर भागे परिजन
हादसे के बाद स्कूल के बाहर बिखरी बच्चों की चप्पलें -चीख-चीखकर गवाही दे रही थी कि किस तरह से सरकारी लापरवाही हुई? जैसे प्रशासनिक अमला घटनास्थल पर पहुंचा, वैसे ही राहत कार्य शुरू हो गया. जेसीबी बुलाकर मलवा हटाने का काम शुरू किया गया. इस दौरान जैसे-जैसे बच्चे मिलते जा रहे थे, वैसे-वैसे लोग तुरंत अस्पताल लेकर दौड़ रहे थे. किसी का पिता अपने बच्चों को लेकर नंगे पांव दौड़ा जा रहा था तो किसी की मां अपने बच्चे को लेकर भाग जा रही थी. हर किसी की हालत एकदम बदहवास हो चुकी है.
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कई नेताओं ने जताया दुख
कई मां-बाप को इस बात की अभी भी उम्मीद जिंदा है कि शायद उनके बच्चे एक बार उन्हें पुकारे पर अब यह दोबारा नहीं हो सकेगा हालांकि इस मामले पर राजस्थान के मुख्यमंत्री से लेकर तमाम बड़े बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने दुख तो जता दिया है लेकिन सवाल तो यह उठता है कि क्या उनका इस तरह से महज एक पोस्ट करके दुख जता देना पीड़ितों के दुख को कम कर देगा. घटनास्थल पर बिखरी किताबें और बैग इस बात की साथ गवाही दे रहे थे कि यह सरकारी नाकामी का एक नतीजा है.