Raksha Bandhan 2025: 'रक्षाबंधन की डोर'
raksha bandhan bhai bahan k

Raksha Bandhan 2025: ‘रक्षाबंधन की डोर’

सावन की रिमझिम फुहारों में,
फिर आई राखी की बहारों में.
बहना की आंखों में सपना है,
भाई की कलाई पर सजाना प्यार अपना है.

नन्हें हाथों से जब बांधी थी,
वो पहली राखी याद है मुझे.
तेरी मुस्कान में छुपा था सुकून,
दिल में था मेरी परवाह का जुनून.

कभी तू रूठी, कभी मैं चुप था,
तेरी नाराजगी में छिपा मीठा स्वरूप था.
हर झगड़े के पीछे प्यार छुपा,
हर दूरी में भी एक एहसास छुपा.

Raksha Bandhan 2025: भाई की कलाई पर चांदी की राखी बांधने से क्या होता है?

तेरे बिना अधूरा था बचपन,
हर मोड़ पर तेरा था अपनापन.
जब गिरा, तूने थाम लिया,
मेरे डर को हर बार गुमनाम किया.

अब बड़े हो गए हैं हम,
फिर भी रिश्तों के वो रंग हैं गहरे.
तू दूर है, पर पास है दिल में,
तेरी दुआओं के लगे हैं मुझपर पहरे.

कलाई पर बांधा जो तूने,
वो केवल धागा नहीं होता.
उसमें लिपटी होती हैं दुआएं,
हर सुख-दुख की परछाईं है होता.

तू कहती है ‘भैया, संभल जाना,’
मैं कहता हूं ‘तू हंसती रहना.’
हर साल ये दिन जब आता है,
मन फिर से बचपन बन जाता है.

हां, मैं एक वर्किंग मां हूं…

रक्षाबंधन का ये प्यारा बंधन,
सिर्फ़ धागा नहीं, आत्मा का संबंधन.
इस पवित्र डोर से बंधे हैं हम,
तेरे रक्षा में जीने को सजे हैं हम.

तो ले बहना, ये वचन मेरा,
तेरे चेहरे की हर खुशी का जिम्मा मेरा.
तेरी रक्षा में कोई कमी न होगी,
मेरे जीवन की हर सांस तेरे नाम होगी.

Scroll to Top