Snake Bite in India: भारत में सांप-काटना (Snakebite) हमेशा से ग्रामीण इलाकों में एक गंभीर समस्या रहा है लेकिन हाल की स्टडीज से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण यह खतरा अब और भी बढ़ रहा है. सांपों का फैलाव उन इलाकों तक हो गया है, जहां पहले यह समस्या बेहद कम थी.
लगातार बदलते मौसम पैटर्न, अनियमित बारिश और बढ़ते तापमान ने सांपों की गतिविधियों को प्रभावित किया है. अब वे नए इलाकों में भी दिखने लगे हैं, खासकर उत्तर भारत और पहाड़ी क्षेत्रों में. इससे वहां रहने वाली आबादी अचानक जोखिम में आ गई है.
भारत में सांप-काटने का असर
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हर साल सांप-काटने से होने वाली मौतों का लगभग आधा ग्लोबल बोझ उठाता है. ग्रामीण इलाकों में सही समय पर इलाज न मिल पाने से हज़ारों लोग जान गंवा बैठते हैं. खेतों में काम करने वाले किसान और मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
एंटिवेनम (Antivenom) की कमी
भारत में सांप-काटने के इलाज के लिए एंटिवेनम जरूरी है लेकिन कई राज्यों में अभी भी यह दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है. छोटे अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में तो स्थिति और भी खराब है.
स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियां
दूरदराज़ इलाकों में एम्बुलेंस और त्वरित इलाज की सुविधा की कमी है. कई बार पीड़ित को शहर के बड़े अस्पताल तक पहुंचने में देर हो जाती है. प्रशिक्षित डॉक्टर और नर्स की कमी भी जानलेवा साबित होती है.
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समाधान और आगे की राह
- एंटिवेनम की उपलब्धता बढ़ाना- हर ज़िले के स्वास्थ्य केंद्र में स्टॉक सुनिश्चित किया जाए.
- लोगों को जागरूक करना – ग्रामीण इलाकों में सांप-काटने पर तुरंत उठाए जाने वाले कदम बताए जाएं.
- मौसम आधारित चेतावनी – जिन क्षेत्रों में सांपों का फैलाव बढ़ रहा है, वहाँ पहले से अलर्ट जारी किए जाएं.
- स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना – छोटे अस्पतालों को बेहतर सुविधाओं से लैस किया जाए.
भारत में सांप-काटने की समस्या केवल ग्रामीण स्वास्थ्य चुनौती नहीं रही, बल्कि अब यह जलवायु परिवर्तन से जुड़ा राष्ट्रीय संकट बनता जा रहा है. समय रहते कदम उठाना बेहद जरूरी है, वरना आने वाले वर्षों में सांप-काटने से होने वाली मौतें और बढ़ सकती हैं.