Mahadev Water Temple: जरा सोचिए कि आप केरल की हरी-भरी वादियों से गुजरते हुए एक छोटे से गांव पुथूर पहुंचते हैं. नारियल के पेड़ों की लाइनें, दूर से आती मंदिर की घंटियों की आवाज़ और हवा में बसा एक रहस्यमय सन्नाटा….कुछ ऐसी जगह पर नेरपुथूर महादेव मंदिर, जो भक्ति और रहस्य का अनोखा संगम है.
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है इसका गर्भगृह. यहां भगवान शिव का स्वयंभू शिवलिंग स्थित है. उससे भी खास बात यह है कि यह शिवलिंग हमेशा पानी में डूबा रहता है. कोई नहीं जानता कि यह जल कहां से आता है. मानो प्रकृति खुद शिवलिंग का अभिषेक कर रही हो.
दूर से करने पड़ते हैं दर्शन
साल के ज्यादातर महीनों में भक्त केवल दूर से, पट्टुपुरा मंडप से ही दर्शन कर पाते हैं क्योंकि गर्भगृह पानी में डूबा रहता है. जैसे ही गर्मियों में जलस्तर घटता है, मंदिर के द्वार खुल जाते हैं और भक्त गर्भगृह में प्रवेश कर सीधे भगवान शिव के दर्शन कर पाते हैं. यह पल हर श्रद्धालु के लिए कभी न भूलने वाला होता है.
डिजाइन बनाती है खास
नेरपुथूर महादेव मंदिर की गोलाकार रचना इसे और भी खास बनाती है. यहां कदम रखते ही एक अलग ही शांति का अनुभव होता है. ऐसा लगता है कि जैसे समय थम गया हो. मंदिर की यह अनोखी संरचना ध्यान और अध्यात्म के लिए बेहतरीन वातावरण तैयार करती है.
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सहस्रदीप महोत्सव होता है अनोखा
महाशिवरात्रि के अवसर पर जब मंदिर में सहस्रदीप महोत्सव मनाया जाता है, तो हजारों दीपक जलाकर परिसर को रोशन किया जाता है. चारों ओर फैली सुनहरी रोशनी और मंत्रोच्चार से वातावरण ऐसा लगता है मानो धरती पर स्वयं कैलाश उतर आया हो. यह मंदिर मलबार देवस्वोम बोर्ड के अधीन है और मलप्पुरम जिले का सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है.
इस पावन स्थल को नीरपुथूर महादेव मंदिर कहा जाता है, जो मलप्पुरम ज़िले के पुथूर गांव में स्थित है. यहां आने का सबसे बेहतरीन समय जून से सितंबर तक का माना जाता है, जब मानसून मंदिर और उसके परिसर को और भी मनमोहक बना देता है. मंदिर का जल पूरी तरह से प्राकृतिक स्रोतों से आता है और स्थानीय मान्यता है कि इस पवित्र जल में औषधीय गुण भी समाए हुए हैं.
केरल सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, इसलिए यहां आप ट्रेन, सड़क या हवाई मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं. नज़दीकी रेलवे स्टेशन तिरुर है, जो मंदिर से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित है. बस से यात्रा करने पर आप पेरिंथलमन्ना बस डिपो तक पहुंच सकते हैं, जो मंदिर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां से लोकल वाहन लेकर आप आराम से मंदिर तक पहुंच सकते हैं.