UP Housing Policy: उत्तर प्रदेश में अब मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए अपना घर खरीदना पहले की तुलना में कहीं अधिक आसान और किफायती होने जा रहा है. राज्य सरकार के कैबिनेट के ताजा फैसले के तहत विकास प्राधिकरणों द्वारा वसूले जाने वाले ओवरहेड चार्ज और कंटीन्जेंसी शुल्क को तर्कसंगत बना दिया गया है. इस निर्णय का सीधा लाभ आम खरीदारों को मिलेगा और आवासीय परियोजनाओं की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है.
कैसे घटेगी घरों की कीमत
अब तक किसी भी नई कॉलोनी या आवासीय परियोजना के विकास के दौरान विकास प्राधिकरण कुल लागत पर 15 प्रतिशत कंटीन्जेंसी और 15 प्रतिशत ओवरहेड चार्ज वसूलते थे. इस तरह प्रोजेक्ट की कुल लागत में करीब 30 प्रतिशत अतिरिक्त राशि जुड़ जाती थी, जिसका पूरा बोझ अंततः फ्लैट या प्लॉट खरीदने वाले उपभोक्ता पर पड़ता था.
एक्स्ट्रा चार्ज में बड़ी कटौती
सरकार ने इस अतिरिक्त 30 प्रतिशत शुल्क को अब घटाकर लगभग 16 प्रतिशत कर दिया है. यानी ओवरहेड और कंटीन्जेंसी चार्ज में करीब 50 प्रतिशत तक की कमी की गई है. इसका सीधा असर यह होगा कि आवासीय प्रोजेक्ट्स की बेसिक कॉस्ट कम होगी और फ्लैट व प्लॉट की कीमतें पहले से काफी सस्ती हो जाएंगी.
किस्त और ब्याज दरों में राहत
घर खरीदने के बाद सबसे बड़ी चिंता मासिक किस्तों और ब्याज दरों को लेकर होती है. इस मोर्चे पर भी सरकार ने राहत दी है. पहले विकास प्राधिकरण आवंटित संपत्तियों पर करीब 10 प्रतिशत या उससे अधिक ब्याज वसूलते थे. अब इसे MCLR + 1 प्रतिशत के फार्मूले से जोड़ दिया गया है, जिससे ब्याज दरें बैंक लोन के करीब आ जाएंगी और खरीदारों पर आर्थिक दबाव कम होगा.
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पीनल ब्याज भी हुआ कम
यदि कोई खरीदार समय पर किस्त जमा नहीं कर पाता था, तो उसे 3 प्रतिशत तक पीनल ब्याज देना पड़ता था. नए फैसले के तहत इस दंडात्मक ब्याज को घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया गया है. यह राहत उन लोगों के लिए खास है, जो किसी कारणवश अस्थायी वित्तीय परेशानी से गुजरते हैं.
खाली पड़ी संपत्तियों पर नए नियम
प्रदेश में बड़ी संख्या में फ्लैट और प्लॉट ऐसे हैं, जो वर्षों से खाली पड़े हैं और इन्हें ‘अलोकप्रिय संपत्तियां’ माना जाता है. सरकार ने इनकी बिक्री को बढ़ावा देने के लिए आरक्षण और कोटे की व्यवस्था खत्म कर दी है. अब ये संपत्तियां ‘पहले आओ–पहले पाओ’ के आधार पर बेची जाएंगी और कोई भी व्यक्ति एक से अधिक संपत्तियां खरीद सकेगा.
रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगा बूस्ट
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट और हाउसिंग सेक्टर के लिए बूस्टर डोज साबित होगा. लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, वाराणसी और अयोध्या जैसे शहरों में बढ़ती आवासीय मांग के बीच इस फैसले का फायदा सीधे आम लोगों को मिलेगा. कैबिनेट की मंजूरी के साथ ही ये नए नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं, जिससे अब नए आवेदकों को सस्ती दरों पर घर मिलना संभव हो सकेगा.

