बॉलीवुड के इस गाने को सुनते ही रो पड़ते हैं लोग, कलेजे को कंपा देती है हर एक लाइन
babul ki duaen leti ja song

बॉलीवुड के इस गाने को सुनते ही रो पड़ते हैं लोग, कलेजे को कंपा देती है हर एक लाइन

Entertainment News: भारत में जब भी किसी बेटी को विदा किया जाता है तो एक गाना जरूर बजता है .यह गाना सुनते ही लोगों की आंखों से अपने आप ही आंसू निकलना शुरू हो जाते हैं. अकेले में भी जब भी कभी आप यह गाना सुनेंगे तो भी आपकी आंखों से झर-झर आंसू बह सकते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर बॉलीवुड कैसा कौन सा गाना है, जिसे सुनते ही आंखों से आंसू निकल आते तो चलिए आपको बताते हैं.

वैसे तो बॉलीवुड में शादियों पर तमाम तरह के गाने बनाए गए हैं और यह गाने खूब हिट भी हुए हैं लेकिन कुछ गाने तो ऐसे हैं, जो कि अगर शादी ब्याह में न बजें तो फिर वह फीका माना जाता है. एक ऐसा ही गाना रह चुका है नील कमल फिल्म का. साल 1968 में यह रोमांटिक थ्रिलर फिल्म रिलीज हुई थी और इसे ऑडियंस से खूब प्यार दिया था. इस फिल्म का म्यूजिक और कहानी दोनों अलग थे पर इस फिल्म में एक गाना फिल्माया गया था, जो की 54 साल बाद भी लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बना हुआ है. इस गाने के बोल हैं ‘बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले”.

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जब भी कोई आप अपनी बेटी को विदा करता है तो यह गाना उसके दिल की भावनाओं को साफ तरीके से पेश करता है. इतना ही नहीं, कहा तो यह भी जाता है कि जब इस गाने को मोहम्मद रफी गा रहे थे तो वह भी अपने इमोशंस पर कंट्रोल नहीं कर पाए थे. इस गीत को गाते हुए वह अपनी ही भावनाओं में उलझते चले गए. जैसे-जैसे वह इस गाने को गाते जा रहे थे, उनका गला और ज्यादा भरता जा रहा था. जैसे ही गाने को खत्म होने की लाइन आई, वह खुद ही जोर-जोर से रोने लगे. इस गाने को गाते समय मोहम्मद रफी की आंखों से आंसुओं के झरने बह उठे, वहीं, जब यह फिल्म रिलीज हुई तो जितने भी पिताओं ने इस फिल्म को देखा, उनकी आंखों में अपनी बेटी की डोली याद आ गई. आज भी कई ऐसे पिता मौजूद हैं, जो कि इस गाने को सुनते ही इमोशनल हो जाते हैं.

गाने ‘बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले’ को म्यूजिक रवि ने दिया था. इसके लिरिक्स लिखे थे साहिल लुधियानवी ने. फिल्म नीलकमल को राम माहेश्वरी ने निर्देशित किया था. फिल्म एक्टर्स की बात करें तो राजकुमार, वहीदा रहमान, बलराज साहनी और मनोज कुमार ने लीड रोल निभाया था. वहीं, इस गाने को वहीदा रहमान और बलराज साहनी पर फिल्माया गया था. इस गाने में पिता और बेटी के बॉन्ड को इतने इमोशनल तरीके से दिखाया गया था कि लोग आज भी इस गाने को देखते हुए बिना रोए नहीं रह पाते हैं. बाप और बेटी के बीच विदाई के सीन को बलराज साहनी ने अपनी एक्टिंग से एकदम जीवंत कर दिया था.

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इस फिल्म में वहीदा रहमान ने इतनी बेहतरीन ऐक्टिंग की थी कि उस साल के बेस्ट एक्ट्रेस की फिल्म फेयर अवार्ड से भी नवाजा गया था. फिल्म नीलकमल अपने टाइम पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी और यह साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों की लिस्ट में भी शामिल हुई थी. आज भी बेटी की विदाई में यह गाना ना बजे तो कुछ अधूरापन सा लगता है.

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