Health News: भारत में सेहत के लिए कौन सा तेल सही है, यह सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है. बाज़ार में सरसों, तिल, नारियल, मूंगफली और राइस ब्रान जैसे कई तरह के तेल मिलते हैं, जिनके अपने-अपने फायदे हैं. सही तेल का चुनाव न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है बल्कि दिल की सेहत, कोलेस्ट्रॉल और पाचन पर भी असर डालता है. इसलिए हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए सही तेल चुनना बेहद ज़रूरी है.
भारत में खाने और तेल का रिश्ता बेहद खास है. तड़के की खुशबू हो या कुरकुरे पकौड़े, तेल सिर्फ एक सामग्री नहीं बल्कि हमारी रसोई की जान है. लेकिन यही तेल अब सेहत के लिए खतरे की वजह भी बन रहा है.
भारत में तेल की खपत कितनी ज्यादा है?
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक, एक व्यक्ति को सालाना लगभग 12 किलो तेल से ज्यादा नहीं खाना चाहिए लेकिन ताज़ा अध्ययन बताते हैं कि भारतीय औसतन 13.6 किलो तेल साल में खा रहे हैं. इससे भी बड़ी समस्या यह है कि लगभग 80% परिवार इस्तेमाल किए गए तेल को दोबारा फ्राई करने के लिए इस्तेमाल करते हैं, जिससे हानिकारक यौगिक बनते हैं. ये दिल की बीमारियां, डायबिटीज, मोटापा और यहां तक कि कैंसर तक बढ़ा सकते हैं.
इसी को देखते हुए ICMR और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) ने नई गाइडलाइन जारी की है-
रोजाना तेल की मात्रा 30 ग्राम (2–4 चम्मच) तक सीमित रखें.
तेल का चुनाव समझदारी से करें.
कभी भी फ्राई किया हुआ तेल दोबारा इस्तेमाल न करें.
तो आखिर कौन सा तेल आपकी रसोई में होना चाहिए? आइए बताते हैं-
सूरजमुखी का तेल (Sunflower Oil)
यह भारतीय घरों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला तेल है. स्वाद में हल्का और सस्ता होता है. इसमें ओमेगा-6 फैटी एसिड भरपूर होता है, जो जरूरी तो है लेकिन ज्यादा लेने पर सूजन और इंफ्लेमेशन बढ़ा सकता है. न्यूट्रिशनिस्ट्स मानते हैं कि इसे अकेले इस्तेमाल न करें, बल्कि ओमेगा-3 या MUFA वाले तेल (जैसे अलसी, अखरोट या मछली) के साथ बैलेंस करें.
ऑलिव ऑयल (Olive Oil)
मेडिटेरेनियन डाइट का मुख्य हिस्सा है. इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (MUFA) भरपूर होते हैं, जो दिल के लिए फायदेमंद हैं. एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल (EVOO) में ऐंटिऑक्सिडेंट्स (पॉलीफिनॉल्स) पाए जाते हैं, जो इंफ्लेमेशन कम करते हैं. EVOO का स्मोक पॉइंट कम होता है, इसलिए इसे सलाद, ड्रेसिंग या हल्की कुकिंग में इस्तेमाल करें. इंडियन स्टाइल फ्राई या तड़के के लिए रिफाइंड/लाइट ऑलिव ऑयल बेहतर है.
सरसों का तेल (Mustard Oil – Kacchi Ghani)
पूर्वी और उत्तरी भारत की रसोई में पारंपरिक तेल है. MUFA और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर सरसों तेल दिल और इंफ्लेमेशन दोनों के लिए अच्छा माना जाता है. हाई स्मोक पॉइंट होने के कारण तलने और भूनने के लिए एकदम सही है. यह मसाज और घरेलू नुस्खों में भी इस्तेमाल होता है. कुछ समय पहले erucic acid को लेकर सवाल उठे थे लेकिन आज शोध बताते हैं कि संतुलित मात्रा में सरसों का तेल सुरक्षित और फायदेमंद है.
घी (Ghee)
भारतीय घरों का सबसे प्रिय और प्राचीन आहार माना जाता है. विटामिन A, D, E, और K से भरपूर होता है. आयुर्वेद में इसे पाचन और दिमाग के लिए टॉनिक माना गया है. सैचुरेटेड फैट ज्यादा होने के कारण इसे संतुलन में खाना जरूरी है वरना वजन और कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है. इसका स्मोक पॉइंट हाई होता है और खाने में गहरा स्वाद जोड़ता है.
ड्राई फ्रूट ऑयल (Nut Oils – Peanut, Walnut, Almond)
मूंगफली का तेल (Peanut Oil): तली-भुनी चीज़ों के लिए अच्छा, MUFA से भरपूर, दिल के लिए फायदेमंद.
अखरोट का तेल (Walnut Oil): ओमेगा-3 फैटी एसिड का बेहतरीन स्रोत, लेकिन फ्राई के लिए नहीं- सलाद या ड्रेसिंग में उपयोगी.
बादाम का तेल (Almond Oil): विटामिन E और ऐंटिऑक्सिडेंट्स से भरपूर, स्किन और दिल के लिए अच्छा, कच्चा खाने पर ज्यादा फायदेमंद.
ये तेल महंगे होते हैं लेकिन रोटेशन में इस्तेमाल करने पर सेहत के लिए बेस्ट हैं.
नारियल तेल (Coconut Oil)
सबसे ज्यादा विवादित तेल नारियल तेल माना जातै है. इसमें सैचुरेटेड फैट और मीडियम चेन ट्राइग्लिसराइड्स (MCTs) पाए जाते हैं, जो तेजी से एनर्जी देते हैं. कहा जाता है कि यह वजन और दिमाग के लिए फायदेमंद है लेकिन ज्यादा इस्तेमाल करने से LDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है. दक्षिण भारत और तटीय इलाकों में पारंपरिक खाने के लिए अच्छा, लेकिन डेली कुकिंग ऑयल नहीं होना चाहिए.
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स्मार्ट ऑयल हैबिट्स (Smart Oil Habits)
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बात सिर्फ तेल के प्रकार की नहीं, बल्कि उसकी मात्रा की भी है.
तेल को रोटेट करें ताकि सभी तरह के हेल्दी फैट्स मिल सकें.
कोल्ड-प्रेस्ड ऑयल्स स्वाद और पोषण के लिए लें, और रिफाइंड ऑयल्स हाई-हीट कुकिंग में.
फ्राई किया तेल दोबारा इस्तेमाल न करें.
तेल को हमेशा एयरटाइट और डार्क कंटेनर में रखें.
अगर तेल गंदला, झागदार, बदबूदार या काला हो जाए तो तुरंत फेंक दें.