dussehra hindi poem

Dussehra Hindi Poem: अच्छाई की विजय

आज जलेगा रावण का पुतला,
बुराई का होगा अंत.
सत्य और धर्म की ज्योति से,
जीवन पाएगा नया रंग…

अहंकार चाहे जितना बड़ा हो,
न टिकता सत्य के सामने.
राम के तीर से गिरता रावण,
संदेश यही देता युग-युग में…

मां की आराधना से मिटे, जीवन का हर अंधकार…

लक्ष्य वही जो धर्म से जुड़ा हो,
जीत उसी की होती है.
जो सत्य की राह पर चलते,
विजयश्री उसी को मिलती है…

भीड़ के संग जश्न मनाएं,
दिल में दीप जलाएं.
अपने भीतर छिपे रावण को,
आज ही सब मिटाए…

दशहरा है प्रतीक उस शक्ति का,
जो हर इंसान में छिपी हुई है.
बुराई का अंधकार मिटाकर,
भलाई की राह दिखी हुई है…

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