दीप जले जब आंगन-आंगन,
अंधियारा सब भागे.
मन के कोने रोशन हो जाएं,
नई उमंगें जागें…
धूल मिटे हर कोने-कोने,
खुशबू फैले फूलों की.
रात ढले तो सुबह सुनहरी,
जैसे बातें सूरज की…
पग-पग दीप सजें उम्मीदों के,
हर दिल में विश्वास रहे.
भूल जाएं हम द्वेष पुराने,
सिर्फ़ प्यार का अहसास रहे..
बच्चों की खिलखिलाहट गूंजे,
फूलझड़ी सी मुस्कान.
नन्हे दीप बताएं सबको,
सपनों की पहचान…
नन्ही लौ से सीख मिले जो,
छोटा भी सब कर सकता है.
संघर्ष अंधियारे के आगे,
दीपक साहस भर सकता है..
त्याग, स्नेह और मिलन का संदेश,
दीपावली हर साल दिलाती.
रिश्तों में मिठास घोलकर,
नई राहें रोशन कर जाती…
मां की आराधना से मिटे, जीवन का हर अंधकार…
लक्ष्मी-गणेश के पूजन से,
घर-आंगन में सुख-समृद्धि आए.
धन, ज्ञान और नई प्रेरणा संग,
हर जीवन में उजियारा छाए..
रंगोली की रंगत फैले,
हर चौखट पर बिखरे प्यार.
जगमग-जगमग दीपों से,
सज उठे पूरा संसार…
आसमान में छूटे पटाखे,
गूंजे हर्षोल्लास का स्वर.
पर प्रकृति का भी ध्यान रहे,
मिलजुल कर मनाएं सुंदर पर्व…
मिठाई की खुशबू फैले,
गुझिया, लड्डू, खील बताशे.
साझेदारी और अपनापन,
हर थाली में खुशियां परोसे..
गरीब झोपड़ी तक पहुंचे,
उम्मीदों का उजियारा.
दीपावली का असली सुख है,
बांटना प्यार अपार…
ना रहे कोई मन से अकेला,
ना हो कोई दिल बेगाना.
दीप जलाकर कर लें वादा,
सबको अपनाना, सबको मानना..
मां लक्ष्मी की कृपा बरसे,
हर घर में खुशहाली लाए.
संपत्ति संग शांति का दीपक,
मन-मंदिर में जगमगाए…
भाईचारे का दीप जलाएं,
ममता का दीप जलाएं.
जहां-जहां भी हो अंधियारा,
स्नेह का प्रकाश पहुंचाएं….