Rajasthan Crime News: उसे क्या पता था कि जिस मां के गर्भ में उसने नौ महीने सुरक्षित रहकर सांस ली, वही मां उसके जन्म के बाद उसका आसरा नहीं बनेगी. दूध की जगह मुंह में पत्थर, प्यार की जगह होठों पर फेविक्विक की बेरहम परत और गोद की जगह गर्म पत्थरों के नीचे मौत की आग, क्या यही उस मासूम की गलती थी कि वह इस दुनिया में आ गया?
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से निकली यह खबर सिर्फ एक वारदात नहीं बल्कि उस दर्द की कहानी है, जिसे सुनकर हर किसी की आंखें भर आईं. बिजौलिया उपखंड के सीताकुंड जंगल में एक 10 से 12 दिन का नवजात पत्थरों के नीचे दबा मिला. उसे देख ऐसा लगा मानो उसने दुनिया में जन्म लिया, यह उसका ही गुनाह था.
जिसने भी यह कृत्य किया, उसने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं. नवजात की चीखें दबाने के लिए उसके नन्हें से मुंह में पत्थर डालकर फेविक्विक से चिपका दिया गया. पास खड़े ग्रामीण और पुलिसकर्मी भी जब यह दृश्य देखे तो पल भर के लिए सन्न रह गए लेकिन भगवान ने शायद उस नन्हीं जान के लिए अब भी जीवन लिखा था.
चरवाहे ने देखा
मंगलवार दोपहर, जब एक चरवाहा अपने मवेशी चरा रहा था, तभी उसे पत्थरों से आती हल्की-सी सिसकियों की आवाज सुनाई दी. वह पास गया और उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई. पत्थरों के नीचे एक नवजात दबा हुआ था. उसने तुरंत मंदिर में बैठे ग्रामीणों को बुलाया, जिन्होंने पुलिस को सूचना दी. सबने मिलकर मासूम को बाहर निकाला लेकिन बाहर आते ही सामने आया दर्दनाक सच. बच्चे का मुंह फेविक्विक से चिपका था और गर्म पत्थरों से उसका लेफ्ट साइड का शरीर बुरी तरह झुलस चुका था. पुलिस ने तुरंत 108 एम्बुलेंस बुलाई और मासूम को बिजौलिया अस्पताल पहुंचाया. हालत बिगड़ने पर उसे भीलवाड़ा जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया.
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मासूम की हालत नाज़ुक
डॉक्टरों ने बताया कि मासूम की हालत नाज़ुक है लेकिन इलाज जारी है. पूरे इलाके में सनसनी का माहौल है. हर कोई यही सवाल कर रहा है कि कोई इंसान इतना निर्दयी कैसे हो सकता है कि अपने ही खून को इस हाल में छोड़ दे. बिजौलिया थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. दोषियों तक जल्द पहुंचने की कोशिश हो रही है लेकिन यह घटना समाज के लिए एक आईना है, जो दिखाती है कि अगर दिल में दया मर जाए तो इंसान कितनी गहरी क्रूरता तक गिर सकता है.