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रिश्तेदार के घर भेजने से पहले बच्चों को सिखा दें ये बातें! हर कोई करेगा आपकी तारीफ

Effective Parenting Tips: एक समय था, जब लोगों के बच्चे अपने रिश्तेदारों के घर जाने के लिए परेशान रहते थे. कभी घर पर कोई मेहमान आ जाए तो बच्चे उनके साथ जाने की इज्जत करते थे. मम्मी-पापा कितनी ही कोशिश क्यों न कर लें लेकिन बच्चे नहीं मानते थे और रो-धो कर किसी न किसी तरीके से उनके साथ चले ही जाते थे. आप भी अपने रिश्तेदारों के घर महीनों खुद रुके होंगे.

वो भी क्या समय था, जब बच्चे अपने मौसा-मौसी, चाचा-चाची, मामा-मामी के घर पर महीनों रुकना पसंद करते थे लेकिन आजकल बहुत ही काम ऐसे बच्चे देखने को मिलते हैं, जिन्हें रिश्तेदारों के घर जाना पसंद होता है हालांकि पेरेंट्स भी आजकल अपने बच्चों को दूसरों के घर भेजना ज्यादा पसंद नहीं करते हैं लेकिन उसके पीछे एक नहीं कई वजहें हैं. एक तरफ जहां आजकल पढ़ाई समेत महंगाई का लोड बढ़ गया है तो वहीं दूसरी तरफ कई बार माता-पिता और बच्चों के कुछ गलतियां भी होती हैं. कहते हैं कि जब भी अपने बच्चों को किसी और के घर भेजें तो उन्हें कुछ बातें सिखा कर भेजनी चाहिए. दरअसल जब आप अपने बच्चों को यह बातें सिखा करके दूसरों के घर भेजते हैं तो न केवल वहां पर उनको प्यार सम्मान मिलता है बल्कि आपके संस्कारों की भी तारीफ होती है. कई बार लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर आजकल के बच्चे दूसरों के घर में जाना क्यों नहीं पसंद करते हैं? क्या माता-पिता के तौर पर कभी आपके मन में यह सवाल उठा है, अगर नहीं तो जरूर उठाना चाहिए आज आपको बताते हैं कि आखिर बच्चे ऐसा क्यों करते हैं?

भले ही आपका बच्चा आपके रिश्तेदार के घर 2 दिन के लिए जाए, 5 दिन के लिए जाए या महीने भर के लिए लेकिन अगर आप अपने बच्चों को यह बातें सिखा कर भेजते हैं तो उन्हें वहां पर और ज्यादा अहमियत मिलती है. कई बार मां-बाप की कमी के चलते रिश्तेदारों के घर पर बच्चों को ही नजरों से देख लिया जाता है हालांकि जरूरी नहीं कि रिश्तेदार यह बात कहें लेकिन एक अच्छे मां-बाप अपने बच्चों को कुछ अच्छी बातें जरूर सिखाते हैं और यह गुड पेरेंटिंग में भी आता है.

हर बात में जिद न करें
आजकल के बच्चे हर बात में जिद करने लगते हैं. ऐसे में अगर वह अपने रिश्तेदार के घर जाते भी हैं तो वहां पर भी उनकी जिद चालू रहती है. फिर वह चाहे खाने को लेकर हो, मोबाइल को लेकर हो या फिर कहीं घूमने जाने की बात हो, ऐसे में जब भी कभी अपने बच्चों को किसी रिश्तेदार के घर भेजें तो उसे समझा-बुझा कर भेजें कि वहां पर फालतू की जिद ना करें. जरूरी नहीं कि आप अपने बच्चों के लिए हर समय उसकी जिद पूरी करते हों तो सामने वाला रिश्तेदार भी करे क्योंकि उसके पास भी तमाम तरह के काम, तमाम तरीके की जिम्मेदारियां होती हैं.

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काम में हाथ बंटाएं
कई बच्चे ऐसे होते हैं, जो कि दूसरों के घर जाकर एकदम आलसी हो जाते हैं. वह जब रिश्तेदार के घर पहुंचते हैं तो उन्हें लगता है कि वह तो मेहमान हैं और यहां तक कि वह अपनी चाय का कप भी उठाकर नहीं रखते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. जब भी कभी अपने बच्चों को दूसरे के घर पर भेजें तो उसे सिखा कर भेजें कि अपने काम खुद से करने चाहिए. इससे रिश्तेदार भी खुश हो जाते हैं और आपके बच्चों के संस्कारों की भी तारीफ होती है. कई बार तो देखा जाता है कि वह अपने कपड़े भी उल्टे-पुल्टा फेंकते देते हैं. उनके जूते इधर पड़े रहते हैं. ऐसे में बच्चों पर तो रिश्तेदार गुस्सा करते ही हैं, साथ उनके मां-बाप के संस्कारों पर भी सवाल उठते हैं.

केवल मोबाइल या टीवी में न लगे रहें
आजकल सोशल मीडिया का जमाना है, ऐसे में बच्चे चाहे छोटा हो या बड़े, अपने घर में हों या दूसरों के घर में, हर वक्त मोबाइल या टीवी में लगे रहते हैं. मेहमानों के घर पर जाने के बाद भी वह कोई भी काम करने के बजाय या तो अपने मोबाइल में वीडियो देखते हैं या फिर टीवी में मूवीज देखते रहते हैं. ऐसे में उनको हर वक्त आराम फरमाता देखकर कई बार रिश्तेदारों के मन में भी गुस्सा आ जाता है. यह कमी बच्चों से ज्यादा उनके पैरेंट्स की होती है. अपने बच्चों को सिखा कर भेजें कि जहां आप जा रहे हैं, वहां पर आपको सब कुछ समय देना है. आप वहां पर सबके साथ बैठें और हर वक्त अपने मोबाइल या टीवी में ही ना लगे रहें.

किसी सामान की बर्बादी न करें
कुछ बच्चे तो ऐसे भी होते हैं, जिन्हें अपने घर पर तो सामान के बर्बाद करने की आदत होती ही है. रिश्तेदारों के घर पर जाने के बाद भी उनकी यह हरकत नहीं बदलती है. जैसे कि अगर उन्हें कुछ खाना पसंद नहीं आता है तो वह बिना कुछ बताए अपनी थाली में ले लेते हैं लेकिन बाद में उसे फेंक देते हैं. वहीं, कई बार अपनी उल्टी सीधी हरकतों की वजह से वह रिश्तेदारों के घर के सामान को भी तोड़ देते हैं. ऐसे में जब भी कभी अपने बच्चों को दूसरे के घर पर भेजें तो उसे सिखाकर भेजें कि आपको दूसरे के घर पर किसी भी तरह की कोई भी सामान की बर्बादी नहीं करनी है.

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गलत जवाब न दें बहस न करे
आजकल के बच्चे कितने ज्यादा एडवांस है इसके बारे में तो सभी जानते ह अपने घर में तो वह दूसरों को गलत जवाब देते ही हैं वहीं अगर रिश्तेदार कोई अच्छी बात सीख रहा है तो उसे पर भी बुरा मान जाते हैं उन्हें लगता है कि इन्होंने हमें कैसे यह हिदायत दे दी यह कैसे हमें यह सिखा दिया ऐसे में उनकी गलती तो है ही लेकिन मां-बाप की भी गलती है वह अपने बच्चों को सीखने की जब भी कभी वह दूसरों के घर जाएं तो वहां पर गलत बात के लिए बहसबाजी ना करें

रिश्तेदार के परिवार संग समय गुजारें
दूसरे के घर पर जाने का मतलब होता है कि आप वहां पर परिवार से मिलने जा रहे हैं, आप अपना मन बदलने के लिए जा रहे हैं, वहां पर कुछ खुशनुमा पल गुजारने के लिए जा रहे हैं लेकिन आजकल के बच्चे ऐसा नहीं करते हैं. वह दूसरों के घर पर भी जाकर अपने ही गैजेट्स में लगे रहते हैं या फिर किसी कोने में पड़कर अपना मोबाइल इस्तेमाल करते रहते हैं. ऐसे में उनकी यह बात उनके रिश्तेदारों को बुरी लग सकती है.

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मां-बाप की परवरिश पर उठते हैं सवाल
ऐसे में जब भी कभी अपने बच्चों को किसी भी रिश्तेदार के घर भेजे तो उसे सिखाएं कि आपको केवल मोबाइल या टीवी में ही समय नहीं गुजारना है बल्कि जब भी परिवार के लोग एक साथ बैठे हों तो सबके साथ बैठना चाहिए और उनमें घुलना-मिलना चाहिए. यही सारी वह बातें हैं, जब आपको अपने बच्चों को किसी रिश्तेदार के घर पर भेजने से पहले ध्यान रखनी चाहिए. ऐसा करने से न केवल बच्चों की तारीफ होगी बल्कि आपके संस्कारों की भी लोग दाद देंगे. यह बातें गुड पेरेंटिंग में आती हैं.

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