सुशीला कार्की: नेपाल की राजनीति में एक अहम मोड़ आया है. देश में सुशीला कार्की की अगुवाई में नई अंतरिम सरकार का गठन किया गया है. इस कदम को नेपाल की लोकतांत्रिक यात्रा में एक बड़ा पड़ाव माना जा रहा है.
सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बनी हैं. उन्हें न्यायपालिका और प्रशासन के क्षेत्र में लंबे अनुभव के लिए जाना जाता है. प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालते ही उन्होंने साफ कर दिया है कि उनकी पहली प्राथमिकता देश में राजनीतिक स्थिरता लाना और जल्द से जल्द आम चुनाव करवाना है.
उनका मानना है कि नेपाल के राजनीतिक दलों को आपसी मतभेद भुलाकर संवाद और सहयोग की राह अपनानी होगी, तभी लोकतंत्र मजबूत हो सकेगा.
भारत ने किया स्वागत
नेपाल में बनी इस नई सरकार पर भारत ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यह कदम नेपाल की लोकतांत्रिक यात्रा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. भारत ने भरोसा जताया है कि नेपाल के साथ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते और भी गहरे होंगे. दोनों देशों के बीच सीमा सुरक्षा, ऊर्जा सहयोग और व्यापार जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को और आगे बढ़ाया जाएगा.
कूटनीतिक नजरिया
विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल की राजनीति केवल घरेलू मामलों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इसका असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ता है. नेपाल की अस्थिरता सीधे तौर पर भारत और चीन दोनों को प्रभावित करती है. भारत के लिए नेपाल एक रणनीतिक साझेदार है. चाहे सीमा पर व्यापार हो, जलविद्युत परियोजनाएं हों या सुरक्षा से जुड़े मुद्दे – नेपाल हमेशा से भारत की कूटनीति का अहम हिस्सा रहा है.
आगे की राह
नई अंतरिम सरकार का गठन नेपाल को स्थिरता की ओर ले जाने की कोशिश है. अब सबकी नजरें इस पर हैं कि सुशीला कार्की की सरकार किस तरह राजनीतिक दलों को साथ लेकर चलती है और चुनाव कब तक करवाए जा पाते हैं. भारत का स्वागत संदेश यह भी दिखाता है कि दोनों देशों के बीच भरोसा मजबूत बना हुआ है. आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह अंतरिम सरकार नेपाल को स्थिर और लोकतांत्रिक भविष्य की ओर कितनी सफलतापूर्वक ले जा पाती है.