चाहत हीरे-मोतियों की नहीं | ReadmeLoud 2 incredible poem
चाहत

चाहत हीरे-मोतियों की नहीं, अंगूठी तेरी उंगलियों की चाहिए

चाहत हीरे-मोतियों की नहीं,
अंगूठी तेरी उंगलियों की चाहिए.

चाहत किसी इत्र की नहीं,
महक अपनी सांसों में बस तुम्हारी चाहिए.

उड़ने के ख्वाब हैं आसमां में,
पंख तुम्हारी बांहों के चाहिए.

चाहत आलीशान बंगलों की नहीं,
तुम्हारे दिल में एक खास कोना चाहिए.

चलूं जब कभी भीड़-भाड़ में,
थामे मुझे वो तेरा हाथ चाहिए.

ख्वाहिश सुकूं भरी जगहों पर जाने की,
वहां मुझे तेरा ही कांधा चाहिए.

इस भीड़भाड़ भरी दुनिया में ऐ मेरे हमसफर,
हम दोनों की क्यूट सी दुनिया चाहिए.

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