safalta par kavita

मुझे सफल खुद से ज्यादा, दूसरों के लिए होना है!

मुझे सफल खुद से ज्यादा, दूसरों के लिए होना है,
जिनकी नजर में मेरी मेहनत मिट्टी का खिलौना है.
वो जिन्होंने देखी केवल मेरी नाकामियां हैं,
भूल गए कि कभी नहीं की मैंने बेईमानियां हैं.


मेरी लगन देखकर उड़ाया जिन्होंने केवल मजाक है,
बताऊंगा उन्हें मेरी भी क्या साख है.
खुद की मेहनत पर मुझे हमेशा भरोसा है,
बताऊंगा सब किस्मत ने नहीं परोसा है.

ऐ इंसान तू भी क्या कमाल है, आंखों पर तेरी कैसे भ्रमों का जाल है


देखे नहीं कभी किसी ने इन पावों के छाले हैं,
ये तो वो 4 लोग हैं, जिन्होंने बस दूसरों पर पत्थर उछाले हैं.
संघर्षों की आंधी में मेहनत का दिया आहिस्ते जलता है,
करता नहीं कभी वो आत्मसम्मान से समझौता है.


दो रुपयों के लिए किसी के आगे नहीं जोड़े कभी हाथ हैं,
मत करो दिखावा, पता मुझे भी तुम्हारी औकात है.
याद है कैसे मां-बाप ने मुझे आगे बढ़ाया है,
न गलत करना, न सहना यही सिखाया है.

इक प्यारा सा घरौंदा मेरे घर में नजर आया है…


मनोबल मेरा हर कदम पर जिन्होंने गिराया है,
भूल गए कैसे आग में तपकर ही सोना निखर पाया है.
जो करते रहे हमेशा पीठ पीछे भली-बुरी बातें,
वो क्या जानें कई दिनों से सोई नहीं हैं ये आंखें.


कैसे कर लेते हैं वो दूसरों के बारे में इतनी बातें,
यहां काम करते-करते कम पड़ जाते हैं दिन और रातें.
भूलो मत समय कभी कहीं नहीं ठहरा है,
खुलेगा एक दिन मेरी खुशियों का जो कमरा है.
तुम्हारी तरह मुझे नहीं झूठी परेशानियों का रोना है,
मुझे सफल खुद से ज्यादा, दूसरों के लिए होना है.

10 thoughts on “मुझे सफल खुद से ज्यादा, दूसरों के लिए होना है!”

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