चाहतों

हमारी चाहतों का ऐसा आगाज़ होगा…

सुनो, जब दुनिया आंखें चार कर रही है,
मैं अपनी तन्हाई संग तुम्हारा इंतजार कर रही हूं,


महफिलों में सब उड़ाते हैं मजाक मेरा,
कहते – इंतजार में न पड़ जाएं काले घेरा.


मुस्कुरा देती हूं लोगों के सुनकर ताने,
तुम भी मुझे ढूंढ रहे होगे बनकर दीवाने.


जानती हूं कि ज़रा फिल्मी मेरी ख्वाहिशें हैं,
सबको साबित करना गलत, ये तुमसे गुजारिशें हैं.


मिलने को तो हर कोई किसी को मिल जाता है,
उम्र भर साथ निभाए, ऐसा कहां हो पाता है.


मैं तितली बनकर आऊं, तुम फूल बन जाना,
मेरी नादानियों को तुम दिल से न लगाना.


मेरी मोहब्बत पर तुम्हें बेहद नाज़ होगा,
हमारी चाहतों का एक दिन ऐसा आगाज़ होगा….

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