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Rubber Farming: एक बार शुरू करें रबड़ की खेती, 40 साल तक बंपर होगी कमाई

How to do Rubber Farming: घर में छोटी-मोटी जरूरत से लेकर बड़ी-बड़ी जरूरतों में आजकल रबड़ की खपत बढ़ती जा रही है. देश-विदेश में इसकी डिमांड भी तेजी से बढ़ रही है. भारत को रबड़ का चौथा बड़ा उत्पादक देश कहा जाता है. वहीं इसकी खेती में आप कम लागत में तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं. इतना ही नहीं, केंद्र और राज्य सरकारी भी रबड़ की खेती के लिए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवाती हैं. वर्तमान में सबसे अधिक रबड़ उत्पादन करने वाला राज्य केरल है. दूसरे नंबर पर त्रिपुरा का नाम आता है. बता दें कि इन राज्यों से दूसरे देशों में रबड़ को निर्यात भी किया जाता है.

आजकल भारत के कई राज्यों में रबड़ की खेती बढ़ रही है. रबड़ बोर्ड की मानें तो त्रिपुरा, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश में कई हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक रबड़ की खेती की जा रही है. भारत के इन राज्यों से रबड़ को अमेरिका, इटली, तुर्की, ब्राज़ील, नीदरलैंड, मलेशिया, मिस्त्र, चीन, जर्मनी, बेल्जियम, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, स्वीडन और पाकिस्तान में निर्यात किया जाता है.

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एक रिसर्च के अनुसार, भारत में साल 2020 में 12000 मीट्रिक टन से ज्यादा प्राकृतिक रबड़ का निर्यात किया गया था. देश के प्रमुख रबड़ निर्यातकों की लिस्ट में उड़ीसा का नाम भी जल्द ही जुड़ने वाला है. दरअसल रबड़ का इस्तेमाल जूते, चप्पल की सोल, इंजन की सील, इलास्टिक बंद, टायर और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बनाने में किया जाता है. खास बात तो यह है कि रबड़ की खेती एक बार शुरू करने के बाद 40 साल तक इससे तगड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है. 5 सालों में रबड़ का पौधा पेड़ बन जाता है और फिर इसमें से रबड़ निकलना शुरू हो जाती है हालांकि ध्यान रहे कि हर रोज रबड़ के पेड़ों को कम से कम 6 घंटे की धूप जरूर मिले.

रबड़ की खेती के लिए ऐसी हो जलवायु
इसकी खेती के लिए लेटराइट लाल दोमट मिट्टी काफी अच्छी मानी जाती है. इसका पीएच लेवल 4.5 से 6.0 के बीच होना चाहिए. रबड़ के पौधों को लगाने का सबसे बेहतरीन समय जून-जुलाई माना जाता है. दरअसल इसके पौधों को पानी की ज्यादा जरूरत होती है. अगर पानी ना मिले तो पौधे सूखकर कमजोर पड़ जाते हैं. इनमें बार-बार सिंचाई करनी पड़ती है. रबड़ की खेती के लिए नमी युक्त जमीन के साथ-साथ अधिक प्रकाश की भी आवश्यकता रहती है.

खेती के लिए मिलती है आर्थिक सहायता
रबड़ की खेती करने वालों को केंद्र सरकार के साथ-साथ विश्व बैंक से भी आर्थिक सहायता मिलती है. रबड़ के जो पेड़ जंगल में उगते हैं, उनकी आमतौर पर ऊंचाई 43 मीटर होती है. जो बिजनेस के मकसद से उगाए जाते हैं, वह थोड़ा छोटे होते हैं.

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ऐसे मिलता है रबड़
सबसे पहले रबड़ के पेड़ में कट लगाकर इसका दूध एकत्रित किया जाता है. इसे लेटेक्स कहते हैं. फिर इस लेटेक्स को केमिकल के साथ परीक्षण किया जाता है. इसके बाद अच्छी क्वालिटी की रबड़ तैयार होती है. रबड़ के पेड़ से जो लेटेक्स मिलता है, सबसे पहले उसे सुखाया जाता है, फिर उसकी रबड़ शीट और दूसरे प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. रबड़ के पौधे से मिलने वाले लेटेक्स को कई बार अलग-अलग प्रोसेसिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. अगर एक बार इसकी खेती शुरू की जाए तो 50 साल तक तगड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है.

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