जानें कब आपको बन जाना चाहिए ‘सांप’, चाणक्य नीति में है लिखा

Chanakya Niti: इंसान की जिंदगी तमाम तरह के उतार-चढ़ावों से भरी पड़ी है. वैसे भी कहते हैं कि अगर जिंदगी में सुख है तो दुख भी होगा और अगर किसी ने दुख पाया है तो उसे सुख के पल भी जरूर देखने को मिलेंगे.

खुशियों और दुख के समय एक इंसान को किस तरह से बर्ताव करना चाहिए, किस तरह से उसे खुद को पेश करना चाहिए, इसका उल्लेख भारत के महान अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपनी अलग-अलग नीतियों में किया है.

बुद्धि के बल पर पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले आचार्य चाणक्य की नीतियों को अपनाकर कई व्यक्ति तरक्की की मंजिल पा चुके हैं तो वहीं, कई लोगों ने अपने घर-परिवार की स्थिति में खुशियों का अंबार लगा दिया है. कहते हैं कि चाणक्य नीतियां बुरे समय में इंसान को उम्मीदों और रोशनी की तरफ ले जाने का काम करती हैं.

इंसान को बन जाना चाहिए सांप
अक्सर आपने कई बार खुद को परेशानियों में घिरा हुआ पाया होगा. ऐसा लगेगा कि किस तरह से मुसीबतें खत्म होंगी? अपने आसपास कोई भी सहारा नजर नहीं आता है और अगर आ भी जाता है तो यह समझ नहीं आता कि यकीन किस पर करें, ऐसे में परेशानियों से घिरे इंसान को चाणक्य की कुछ नीतियां न केवल संबल देती हैं बल्कि परेशानियों में डूबे इंसान को गोताखोर की तरह बाहर भी निकाल लाती हैं. परेशानियों से घिरे इंसान को आचार्य चाणक्य ने एक सांप की तरह व्यवहार करने की बात कही है. आप भी जानिए वजह-

कमजोरी का न करें प्रदर्शन
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर सांप जहरीला न भी हो तो भी वह लोगों के सामने फुंफकारता जरूर है. कहने का मतलब यह है कि कभी भी मुश्किलों से घिरे या कमजोर इंसान को अपनी कमजोरी का बखान सबके सामने नहीं करना चाहिए.

दूसरे उठाने लगते हैं फायदा
चाणक्य नीति के अनुसार, दूसरों के सामने अपनी परेशानियों का रोना रोने वाला इंसान कई बार खुद ही अपनी परेशानियां बढ़ाने का जिम्मेदार होता है. ऐसे इसलिए क्योंकि दूसरे लोग ऐसे समय में मदद भले न करें लेकिन फायदा उठाने से कभी नहीं चूकते हैं.

मजबूती से ही पेश आएं
आचार्य चाणक्य की नीति के मुताबिक, मुश्किलों में पड़े इंसान को दूसरों के सामने मजबूती से पेश आना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि चाणक्य कथन के अनुसार, जहर निकले सांप के फुंफकारने मात्र से ही उसके दुश्मन उस पर हमला करने से डरते हैं. ऐसे में किसी भी इंसान को दूसरों के सामने अपनी कमजोर परिस्थिति का जिक्र कभी नहीं करना चाहिए ताकि दुश्मन कभी हमलावर न हो सके.

सच्चे मित्र से ही करें दुख शेयर
दुख में पड़ा इंसान कई बार अपने आपको संभाल नहीं पाता है. ऐसे में उसे अगर कोई भी प्यार से उसकी परेशानी पूछ ले तो वह भावुकता में सब कुछ सच-सच बोल देता है. यह कभी नहीं करना चाहिए. दुख में पड़े इंसान की बातें समाज के लोग रो-रोकर पूछ तो लेते हैं लेकिन हंस-हंस कर फिर दुनिया के सामने बताते हैं. ऐसे में जिनपर सबसे ज्यादा आपको भरोसा हो, केवल उन्हीं से अपना दुख शेयर करें ताकि कोई समाज में आपकी खिल्ली न उड़वाकर आपकी हिम्मत बने.

(Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारियां चाणक्य नीति पर आधारित हैं. Readmeloud इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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