शॉपिंग, शॉपिंग और शॉपिंग… अगर आजकल किसी भी लड़की या लड़के से उसकी पसंद पूछी जाए तो यह पसंद सबसे ऊपर आती है. लड़कियां ही नहीं, लड़के भी आजकल शॉपिंग में जमकर इंट्रेस्ट रखने लगे हैं. वहीं, बढ़ते फैशन के साथ-साथ कपड़ों से ज्यादा आजकल अलग-अलग डिजाइन और स्टाइल के जूते मार्केट में ट्रेंड करते रहते हैं.
अब भला कोई लड़का-लड़की मार्केट जाए और शूज न लाए, ऐसा शायद ही हो सकता है. लड़के-लड़कियां अपने कॉलेज-ऑफिस जाने के लिए जूतों का बड़ा कलेक्शन रखना पसंद करते हैं. इसके लिए वो किसी भी दिन घर में जूते/चप्पल खरीदकर लाकर रख देते हैं. उनकी इस पसंद का खामियाजा पूरे घर को भुगतना पड़ता है. घर ही नहीं, घर वालों की भी सुख-शांति चली जाती है. अब आप सोच रहे होंगे कि नए जूतों से घर वालों को क्या परेशानी हो सकती है तो चलिए आपको बताते हैं कि किसी भी दिन जूतों की शॉपिंग क्यों अशुभ है?
आपको जानकर हैरानी होगी कि जूते-चप्पल खरीदने के लिए भी खास दिन होता है. अगर गलत दिन घर के अंदर नए जूते-चप्पल खरीदकर लाए जाएं तो इसका बुरा असर पड़ता है. साथ ही साथ नकारात्मकता का माहौल भी पैदा होता है. वास्तु शास्त्र के हिसाब से जूते-चप्पल खरीदने के लिए सही दिन का चयन बेहद जरूरी है.
कब न करें जूते चप्पल की शॉपिंग
वास्तु शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार, कभी भी अमावस्या, मंगलवार, शनिवार या फिर ग्रहण के दिन नए जूते-चप्पल नहीं खरीदने चाहिए. इन दिनों में जूते-चप्पलों की शॉपिंग से घर में दुर्भाग्य आता है. शनिवार के दिन तो गलती से भी जूते-चप्पल न खरीदें. माना जाता है कि न्याय के देवता शनि का सीधा संबंध इंसान के पैरों से होता है. ऐसे में इस दिन जूते-चप्पलों की शॉपिंग से शनि दोष का प्रकोप होता है. इसके साथ ही घर में भी दुख दरिद्रता बढ़ती है.
बेड के नीचे न रखें जूते-चप्पल
कई बार देखा जाता है कि लोग जिस बेड के नीचे सोते हैं, वहीं, अपने जूते-चप्पलों को रखते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. इससे सेहत पर बुरा असर पड़ता है. इतना ही नहीं, पति-पत्नी के संबंधों में भी खटास की संभावना होती है.
कब बाहर करें फटे जूते चप्पल
अक्सर देखा जाता है कि जूते-चप्पल फट जाने पर किसी भी दिन लोग उन्हें घर के बाहर कचरे में फेंक देते हैं, पर ऐसा नहीं करना चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार, शनिवार के दिन जूते-चप्पलों को बाहर करना सही होता है. अगर इन्हें शनि मंदिर के बाहर छोड़ा जाए तो और भी ज्यादा बेहतर होता है. कहते हैं कि ऐसा करने से शनि देव का कुप्रभाव कम होता है और जीवन में खुशियां आती हैं.
(Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं-परंपराओं के अनुसार हैं. Readmeloud इनकी पुष्टि नहीं करता है.)