baap beti ki jaymala

यहां दूल्हे से पहले पिता को जयमाला पहनाती है बेटी, अपनी ही मां की बन जाती है ‘सौतन’

Weird Marriage Tradition: कहते हैं कि इस दुनिया में बाप-बेटी के रिश्ते से पवित्र कुछ भी नहीं होता है लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि लड़की अपनी ही जयमाला से पहले दूल्हे के बजाय अपने पिता को जयमाला पहना दे. अगर नहीं तो आज की खबर पढ़ कर आप पूरी तरह से झटका खाने वाले हैं. सभी जानते हैं कि भारत में अलग-अलग तरह की जनजातियां रहती हैं. किसी की बोली अलग है, किसी की परंपराएं अलग हैं. वहीं, जनजातियों में कुछ रस्में तो इतनी ज्यादा अलग हैं कि उनके बारे में सुनकर लोगों को झटका लग जाता है.

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आदिवासी शादियों की कुछ रस्में तो ऐसी होती हैं कि उन पर लोगों को यकीन करना मुश्किल हो जाता है. अक्सर आपने देखा होगा कि शादी के समय दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे को जयमाला पहनते हैं. यह इस बात का सबूत माना जाता है कि दोनों ने दूसरे को पसंद किया है. वहीं, राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू में आदिवासी समाज का एक ऐसा हिस्सा रहता है, जहां के नियम लोगों को हैरान कर देते हैं. कहा जाता है कि यह आदिवासी समाज काफी पिछड़ा है लेकिन असलियत में यहां के कुछ नियम ऐसे हैं, जो कि आज की समाज की सोच को भी टक्कर दे सकते हैं.

आज आपको जिस गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, वहां की लड़कियों को अपने लिए लड़का चुनने की आजादी होती है. यहां पर एक लड़कों का मेला लगता है, जहां पर लड़की अपने फेवरेट साथी का चुनाव करती हैं लेकिन उससे पहले लड़कियों को ऐसा काम करना पड़ता है, जो की सबको हैरान करके रख देता है.

पिता देते हैं सहमति
जानकारी के मुताबिक, इस आदिवासी समाज की लड़कियां अपनी ही शादी से पहले दूल्हे के बजाय अपने पिता के गले में जयमाला पहनाती हैं. खबर पढ़ने के बाद आपको ऐसा लगेगा कि मानो लड़कियां शादी से पहले अपनी मां की सौतन बन जाती है लेकिन यह सही नहीं है. दरअसल जब कोई लड़की पिता को जयमाला पहनाती है तो इसका मतलब होता है कि वह उनसे अपने लिए दूल्हा पसंद करने की परमिशन मांगती है. इसके बाद उसके पिता जयमाला को उतारता है और बेटी को सहमति देता है. इसके बाद ही लड़की अपना पसंद का लड़का चुनती है.

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लड़कियां स्वयंवर करती
जानकारी के अनुसार, राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू के पास नक्की झील पर हर साल पीपल पूनम में आदिवासी समाज का एक विशेष मेला लगता है. यहां पर लड़कियां स्वयंवर करती हैं. पहले पिता से इजाजत लेती हैं. फिर मेले में अपनी पसंद का दूल्हा चुन लेती हैं. इतना ही नहीं, अगर समाज की लड़की किसी लड़के के साथ भाग जाती है तो पंचायत लड़के वालों से हर्जाना लेकर दोनों की शादी करवाते हैं और इस तरह से इस समाज की यह प्रथा आज की मॉडर्न सोच को भी टक्कर दे रही है.

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