महसूस कर ये चाहतें, नादां नहीं जरा चुलबुली हूं मैं

तुम घने जंगल,तो लकड़ी हूं मैं,तुम लहराते सागर,तैरती इक मछली हूं मैं. भूलकर न गई तेरी नजर,बनारस की वो गली […]

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चाहत हीरे-मोतियों की नहीं, अंगूठी तेरी उंगलियों की चाहिए

चाहत हीरे-मोतियों की नहीं,अंगूठी तेरी उंगलियों की चाहिए. चाहत किसी इत्र की नहीं,महक अपनी सांसों में बस तुम्हारी चाहिए. उड़ने

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