AI Deepfake Video: कहते है एक तरफ जहां टेक्नोलॉजी फायदेमंद होती है, वहीं इसके दूसरे स्वरूप को भी नकारा नहीं जा सकता है. टेक्नोलॉजी के फायदे तो हैं लेकिन इसका नुकसान भी हैं. आजकल लोग तेजी से दूसरों के गंदे डीपफेक वीडियो बना करके गुमराह करने पर तुले हुए हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके ऊपर भारी जुर्माना पड़ सकता है. जी हां, आईटी एक्ट 2000 के अंडर ऐसा करने वालों को जुर्माना तो भरना ही पड़ेगा, इसके साथ ही सलाखों के पीछे भी जाना पड़ सकता है.
अगर आप भारत देश में रहकर के किसी की प्राइवेसी से खिलवाड़ करते हैं, उसके फर्जी या वीडियो फोटो बनाकर शेयर करते नजर आते हैं तो भारतीय कानून के मुताबिक आपके ऊपर सख्त कार्रवाई की जा सकती है .हाल ही में साउथ की जाने-मानी एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का डीपफेक वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुआ, तो और तो और खुद रश्मिका के भी होश उड़ गए. लोगों को यकीन नहीं हो रहा था तो इतना गंदा वीडियो रश्मिका मंदाना का है. बाद में पता चला कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से यह डीपफेक वीडियो बनाया गया है. इसके बाद सोशल मीडिया पर डीपफेक वीडियो को लेकर लोगों में तेजी से बहस छिड़ गई. बता दें कि किसी की प्राइवेसी में फालतू की दखलअंदाजी करके फेक कंटेंट बनाना अपराध माना जाता है. उसके साथ ही समाज पर इसका गलत असर भी पड़ सकता है. आजकल चुनावी माहौल चल रहा है. ऐसे में कई जगहों पर नेताओं के नकली वीडियो के जरिए वोटर्स को गुमराह किए जाने का खतरा तेजी से बढ़ गया है.
भारत में इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के तहत आने वाले डीपफेक वीडियो संबंधी केसेस को निपटा दिया जाता है लेकिन आपको बता दें कि नागरिकों की प्राइवेसी की सुरक्षा के लिए इस एक्ट में कई तरह के प्रावधान बताए गए हैं. एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना के केस में अगर देखते हैं तो सरकार इस एक्ट के अंतर्गत डीपफेक वीडियो बनाने और शेयर करने वालों पर तगड़ी कार्यवाही कर सकती है. चलिए आज आपको बताते हैं कि आईटी एक्ट के तहत इस केस पर क्या कार्यवाही हो सकती है और अपराधी को कितनी सजा मिल सकती है?
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IT Act, 2000 (Sec. 66C): 3 साल की जेल
पहली बात तो किसी की भी प्राइवेसी में खलल डालना बेहद ही बड़ा अपराध है. वहीं आईटी एक्ट और इंडियन पेनल कोड (IPC) AI जेनरेटेड डीप फेक के मुद्दों का निपटारा कर सकते हैं. आईटी एक्ट के सेक्शन 66C में पहचान की चोरी का प्रावधान है. अगर कोई भी इंसान धोखाधड़ी या बेईमानी करके किसी अन्य इंसान से पासवर्ड, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर या फिर दूसरे यूनिक आइडेंटिफिकेशन का इस्तेमाल करता है तो उसे पर एक लाख का जुर्माना पड़ सकता है यानी कि दोषी को 3 साल तक की सजा को 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा उसके ऊपर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
IT Act, 2000 (Sec. 66D): इंपर्सनेशन फ्रॉड
अगर कोई भी इंसान कंप्यूटर रिसोर्स की मदद से किसी की पहचान बदलकर धोखाधड़ी करता है तो उसके लिए भी सजा का प्रावधान है. इसके लिए क्षेत्र 66 डी के अंतर्गत फ्रॉड करने के लिए इंपर्सनेशन यानी कि दूसरे का रूप धारण करना या फिर दूसरे की तरह दिखने की एक्टिंग करना भी एक कानूनी जुर्म है. ऐसा करने वाले शख्स को 3 साल तक की कैद और एक लाख का जुर्माना लग सकता है.
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IT Act, 2000 (Sec. 66E): जुर्माना और जेल
सेक्शन 66Eके तहत लोगों के प्राइवेसी से जुड़े केसेस देखे जाते हैं. अगर कोई भी इंसान जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति की प्राइवेसी का उल्लंघन करता है, उसकी परमिशन के बिना उसके प्राइवेट एरिया की इमेज को कैप्चर करता है या उसे शेयर करता है तो उसे 3 साल की सजा और 2 लाख का जुर्माना हो सकता है. इतना ही नहीं इसके तहत दोषी को की जेल की सजा को 3 साल के लिए भी बढ़ाया भी जा सकता है. ऐसे में उसके ऊपर ₹2 लाख तक का जुर्माना या फिर यह दोनों ही एक साथ दंडित किया जा सकते हैं. अगर कोई भी AI (Artificial intelligence) की मदद से किसी के नकली वीडियो बनाता है तो वह कानूनी शिकंजे में बुरी तरह फंस सकता है.
IT Act, 2000 (Sec. 67): अश्लील कंटेंट फैलाने पर मिलेगी सजा
आईटी एक्ट के सेक्शन 67 के अंदर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से अश्लील कंटेंट पब्लिश करने या फिर उसे वायरल करने के लिए भी सजा का प्रावधान है. अगर कोई भी ऐसा कंटेंट बनता पब्लिश करता है या फिर शेयर करता है, जो की अश्लील हो और कामुकता को बढ़ावा देता हो तो उसे ऐसा पहली बार करने पर 3 साल की सजा और 5 लाख का जुर्माना भुगतना पड़ेगा. अगर वह यही अपना दूसरी बार करता है तो उसे जेल की सजा को 5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना की राशि पर 10 लाख तक हो सकती है.
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IPC के तहत हो सकती कार्रवाई
कानूनी जानकारी के मुताबिक, रश्मिका मंदाना के बनाए गए डीप फेक वीडियो के केस में क्षेत्र 66C, 66D और 67 लागू हो सकते हैं. बता दें कि कई मामले ऐसे भी होते हैं, जहां पर हेट स्पीच फैलाने के लिए भी डीपफेक का सहारा लिया जाता है. ऐसे केसेस में आईटी एक्ट के साथ अलावा आरोपी के ऊपर इंडियन पेनल कोड के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है. ऐसे केसेस में धारा 153 ए और 295 ए के तहत केस दर्ज किया जा सकता है.