Hari Mirch Ki Kheti: जब मार्केट में सब्जी खरीदने जाते हैं तो आप सब्जीवाले कहते हैं कि 2-4 हरी मिर्च डाल देना. ऐसे में दुकानदार का गुस्सा भड़क जाता है. वह आपको पैसे पर ही मिर्च देना चाहता है. जानते हैं क्यों? क्योंकि मिर्च काफी महंगी हो रही है. आजकल चारों तरफ कितनी महंगाई है, इसके बारे में तो आप जानते ही हैं. ऐसे में हर कोई चाहता है कि वह कुछ ऐसा काम करें जिसमें उसका फायदा ही फायदा हो. फिर चाहे नौकरी हो या फिर किसी चीज की खेती. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आप मिर्च की किस किस्म की खेती करें कि उसकी बंपर पैदावार होगी और उसका उत्पादन 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होगा.
वैसे तो किसान परंपरागत खेती करते हैं लेकिन अब महंगाई को देखते हुए किसानों का ध्यान मिर्च की तरफ भी बढ़ रहा है. परंपरागत खेती से ध्यान हटाकर किसान तरह-तरह की अलग चीजों की भी खेती कर रहे हैं. इसके चलते सब्जियों का खेती का रकबा और उत्पादन दोनों ही बढ़ा है. किसान मिर्च की खेती से दमदार और तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं.
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यह तो आप जानते ही हैं कि बिना हरी मिर्च की सब्जी का स्वाद फीका होता है. साल के 12 महीने बाजार में मिर्च की डिमांड होती है. ऐसे में मिर्च की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा होती है लेकिन अगर मिर्च की उन्नत किस्म की खेती कर ली जाए तो मुनाफा और उत्पादन, दोनों ही दोगुना हो जाते हैं. आज हम आपको मिर्च की उन्नत किस्म के बारे में बताएंगे, जिनकी खेती करके आप मालामाल हो सकते हैं.
तेजस्विनी
मिर्च के इस किस्म की फलियां मीडियम साइज की होती हैं. इनकी लंबाई करीब 10 सेंटीमीटर होती है. तेजस्विनी मिर्च की फसल करीब 75 दिनों में ही पहली बार तोड़ने के लायक हो जाती है. इस हरी मिर्च का उत्पादन लगभग 200 से ढाई सौ क्विंटल तक होता है.
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काशी अर्ली
इस मिर्च की खेती काफी लाभदायक मानी जाती है. यह किसानों को दोहरा नहीं 4 गुना फायदा देती है. इसके नाम में ही अर्ली लिखा हुआ है. इसी के अनुरूप हरे मिर्च की यह किस्म 45 दिनों में ही तोड़ने के लायक हो जाती है. वहीं दूसरी संकर किस्मों को करीब 55 से 60 दिनों का समय लग जाता है. काशी अर्ली के मिर्च के फलों की तुड़ाई 1 सप्ताह के अंतराल पर की जा सकती है. 10 से 12 बार इसकी तुड़ाई हो सकती है. काशी अर्ली हरी मिर्च का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल तक होता है. हरी मिर्च की इस किस्म की खेती को किसानों के लिए सबसे बेहतर माना जाता है.
काशी तेज हाइब्रिड
मिर्च की इस किस्म की खेती को किसान सूखे और हरे दोनों तरह के लिए करते हैं. यह करीब 35 से 40 दिनों के अंदर ही तोड़ने लायक हो जाती है. स्वाद में यह मिर्च बहुत ज्यादा तीखी होती है. इसका एक हेक्टेयर में उत्पादन करीब 135 से 140 क्विंटल तक हो जाता है.
जाहवार मिर्च
मिर्च की यह किस्म बहुत ही जल्दी पक कर तैयार हो जाती है. यह खाने में थोड़ा कम तीखी होती है. इस किस्म की मिर्च में कुर्कुरा रोग का प्रकोप कम होता है. यह लगभग 100 से 105 दिन में तैयार हो जाती है जबकि इसी की लाल मिर्च 120 से 125 दिन में तैयार होती है. जाहवार मिर्च 148 का उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 85 से 100 क्विंटल हरी और 18 से 23 क्विंटल सूखी मिर्च होता है.
पंजाब लाल
मिर्च की इस किस्म की पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं. इनका आकार बना और रंग लाल होता है. इस फसल को पकने में 120 से 180 दिन लग जाते हैं. वहीं इनका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 110-120 क्विंटल होता है. सूखने पर 9 से 10 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है.
अगर आप भी हरी मिर्च की खेती करना चाहते हैं तो ऊपर बताई गई मिर्च की उन्नत किस्मों की खेती करें. इससे आपको कम समय में ज्यादा और तगड़ा मुनाफा हो सकेगा.