Parenting Tips from Ramayana: रामायण का जिक्र होते ही सबसे पहले लोगों को मर्यादा पुरुषोत्तम राम याद आते हैं, जिन्होंने अपने अच्छे कर्मों और बातों से इस दुनिया को कई तरह की सीखें दी. रामायण केवल एक महाकाव्य नहीं है बल्कि यह हिंदुओं का एक पवित्र ग्रंथ भी है. इसमें जिंदगी को सही तरीके से जीने के कई अहम पहलू भी बताए गए हैं. रामायण महाकाव्य में जिंदगी जीने की कई जरूरी बातें बताई गई हैं.
एक तरह से देखा जाए तो रामायण ग्रंथ का हर किरदार ऐसा है, जिससे कुछ ना कुछ सीख जरूर ले जा सकती है. इनमें भगवान श्री राम, मैया सीता, भरत लक्ष्मण, हनुमान-सुग्रीव सभी शामिल हैं. इन सभी के जिंदगी के चरित्र से कुछ ना कुछ सीखा जा सकता है, जिससे कि आपका जीवन आदर्श जीवन हो सकता है. आजकल के बच्चों में संस्कारों की कमी देखी जाती है लेकिन आज आपको गुड पेरेंटिंग के लिए रामायण से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं, जिन्हें आप अपने बच्चों को अगर सिखाते हैं तो वह उनकी अच्छी परवरिश में काम आएंगे और उनकी जिंदगी को आसान बनाएंगे.
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अनुशासन से जीना
सभी जानते हैं कि रामायण महाकाव्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जीवन से जुड़ा है. भगवान श्री राम ने अपनी जिंदगी में कई तरह के अनुशासन का पालन किया. उनकी जिंदगी में कितनी ही कठिनाइयों आई लेकिन वह सच्चाई और ईमानदारी की राह से नहीं डिगे. उन्होंने जिंदगी के सभी कठोर फैसलों का अनुशासन में रहकर पालन किया. ऐसे में सभी माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को भगवान श्री राम की तरह अनुशासन का पाठ जरूर पढ़ाएं.
सत्यता की राह
सब कुछ कर लेने की क्षमता होने के बावजूद भगवान श्री राम ने अपनी जिंदगी से सच्चाई को कभी अलग नहीं किया और अपने कर्तव्य का पालन किया. भगवान श्री राम के चरित्र से लोगों को सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने की सीख मिलती है. ऐसे में सभी माता-पिता को बच्चों को जरूर सिखाना चाहिए. सभी जानते हैं कि जिंदगी में आगे बढ़ने का तो कई तरीके होते हैं लेकिन कभी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह ज्यादा दिन तक टिकता नहीं है.
धैर्य है बहुत जरूरी
रामायण में अगर आप भगवान श्री राम को देखते हैं तो वह हर समय मुस्कुराते हुए नजर आते .हैं उनकी जिंदगी में इतनी कठिनाइयां आईं, इतनी परेशानियां आईं लेकिन उन्होंने मुस्कुराना नहीं छोड़ा और धैर्य का साथ नहीं छोड़ा. यही वजह रही कि भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए और माता सीता आदर्श
पत्नी बनी. माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को भगवान श्री राम की तरह धैर्य से रहने की सीख दें क्योंकि समय आने पर सब कुछ ठीक हो जाता है. इससे बच्चा में बच्चे मेंटली स्ट्रांग बनेंगे.
आदर और सम्मान सिखाएं
एक तरह से देखा जाए तो श्री राम भगवान ही थे लेकिन उन्होंने अपने माता-पिता, गुरु, भाई बहन से लेकर के अपने समक्ष मौजूद हर इंसान का सदैव सम्मान किया और पिता के आदेश को सबसे पहले मानते थे. गुरु के प्रति भी वह समर्पित थे. उनकी जिंदगी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हर किसी का सम्मान करना चाहिए.
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त्याग करना सीखें
आपने देखा होगा कि अगर बच्चों से तो क्या बड़ों से भी कोई चीज उनकी ले ली जाए तो वह लड़ाई करना शुरू कर देते हैं लेकिन श्री राम ऐसे नहीं थे. उन्होंने पिता के केवल एक आदेश पर अपने पूरे राज्य को त्याग दिया और माता सीता ने भी पत्नी धर्म निभाने के लिए महल में मिल रही सभी सुख सुविधाओं को छोड़ दिया. वहीं भाई का फर्ज निभाने के लिए लक्ष्मण ने भी सारी खुशियां त्याग दीं. ऐसे में रामायण के ज्यादातर किरदार त्याग की सीख भी देते हैं. बच्चों को यही सिखानी चाहिए.