read Scientific Reasons Why not To Eat Food In An Iron Kadai Or Pan

कड़ाही में भोजन नहीं करना चाहिए, क्यों? जानिए वैज्ञानिक कारण

भारतीय समाज में कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. यहां हर मान्यता के पीछे कोई न कोई तथ्य भी दिया गया है. ये मान्यताएं सदियों से हमारे घर-परिवार में बाकायदा मानी जाती हैं. वहीं, अक्सर आपने देखा होगा कि हमारी दादियां-नानियां और माएं कड़ाही में खाना खाने से मना करती हैं.

दादी-नानी और मां के मना करने पर हम लोग कड़ाही में खाना खाने से तो मना कर देते हैं लेकिन क्या कभी इसके पीछे की असल वजह जानने की कोशिश करते हैं? नहीं न… क्यों हमारे भारतीय समाज में कड़ाही में खाना खाने से मना किया जाता है, इसके पीछे हैरतअंगेज सच्चाई छिपी हुई है.

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कड़ाही में खाना न खाने देने के पीछे एक फनी वजह तो सबने सुनी होगी कि अगर आपने कड़ाही में या फिर फ्राई पैन में खा लिया तो उस शख्स या लड़की की शादी में आंधी-तूफान आएगा. यही सुनकर लोग यही मानने भी लगे हैं लेकिन इसकी असली वजह क्या है, यह आपको हम बताएंगे. आप भी जानिए कि आखिर ऐसी क्या वजह है, जो इस मान्यता की शुरुआत की गई.

बता दें कि हिंदू धर्म में प्रचलित सभी मान्यताओं के पीछे कोई न कोी वैज्ञानिक दृष्टिकोण जरूर है. ‘कड़ाही में ना खाने’ के पीछे भी एक बड़ी वजह बताई गई है. इस पर शोधकर्ताओं ने भी रिसर्च की है. तो कड़ाही में खाना न खाने के पीछे का वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या है, इस बारे में आपको बताते हैं.

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हाइजीन है सबसे बड़ा मुद्दा
जी हां, कड़ाही में खाना न खाने देने के पीछे सबसे बड़ी वजह हाईजीन है. यह पढ़कर आपको बहुत अजीब लग रहा होगा लेकिन सच्चाई यही है. दरअसल, पुराने जमाने में खाना बनाने वाले रसोइये सबके खाने के बाद खाते थे. वहीं, घर की महिलाएं भी पूरे परिवार को खाना खिलाने के बाद ही खाती थी. पूरे दिन की थकी महिलाएं जब आखिरी में खाती थी तो जल्दी के चक्कर में कड़ाही में ही सारा खाना रख लेती थी और सब मिलाकर खाने लगती थी. ऐसा ही कुछ रसोइये भी करते थे.

इससे हाईजीन की समस्या पैदा होती थी. उस समय ज्यादातर लोहे की कड़ाइयों में खाना बनता था, जिन्हें ठीक से साफ करना मुश्किल होता था. आज के समय की तरह उस समय डिश वाशिंग पाउडर या लिक्विड उत्पाद भी नहीं मिलते थे. बर्तन साफ करने के लिए राख और पुआल का इस्तेमाल किया जाता था. देखने में कड़ाही साफ दिखने लगती थी लेकिन भीतर से वह ठीक से साफ नहीं हो पाती थी. ऐसे में सवाल उठा कि कड़ाही में खाने से कैसे लोगों को रोका जाए?

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बनाई गई यह मान्यता
माना जाता है कि तब से ही यह मान्यता लागू की गई. साथ ही में यह भी कहा गया कि अगर किसी मान्यता में कानून, धार्मिक संस्कार या भय जोड़ा जाता है तो लोग उसे जल्दी अपनाते हैं. लोगों में हाईजीन की समस्या को दूर करने के लिए ही फैलाया गया कि कड़ाही में खाना नहीं खाना चाहिए.

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