maa par kavita

हर किसी को अब तुम्हारी, प्यारी किलकारियों का ही इंतजार है…

लिखना तो बहुत कुछ है,पर लिख नहीं पा रही हूं,ऐ मेरी नन्हीं जान, तुम हो मेरे अंदर,बस यह अहसास जिए

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saas ke liye kavita

दूसरे कहते रहे आप ‘सास’ हैं मेरी, पर आप मेरे लिए यशोदा बन गई

जिस दिन ब्याह कर आई थी,मन में न जानें कितनी शंकाएं थी.कैसा होगा नया परिवार,ये सोच-सोच कर मन ही मन

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kinare par hai kashti

किनारे पर है कश्ती, फिर भी निकल नहीं पा रही हूं

उलझी हूं मैं खुद में,सुलझ नहीं पा रही हूं,किनारे पर है कश्ती,फिर भी निकल नहीं पा रही हूं. मन परेशान

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chatukarita

ये फरवरी, मार्च, अप्रैल का महीना, न जाने क्या रंग दिखलाता है…

ये फरवरी, मार्च, अप्रैल का महीनान जाने क्या रंग दिखलाता है,साल भर अच्छा रहने वाला दोस्तखुद ही दुश्मन बन जाता

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uljhanen tumhari koi nahi s

उलझनें तुम्हारी कोई नहीं समझेगा, उलझने को हर कोई, और उलझेगा!

उलझनें तुम्हारी कोई नहीं समझेगा,उलझने को हर कोई, और उलझेगा.क्या बीत रही है तुम पर,जानबूझ कर कोई नहीं पूछेगा.बताना भी

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