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Mugal Haram: शहजादियों से संबंध बनाने से पहले मुगल बादशाह रात में खाते थे ये चीजें

Mugal Haram Story: जब भी आप इतिहास पढ़ते हैं तो मुगलों के बारे में जरूर पढ़ते हैं. कहते हैं भारत में मुगलों ने करीब 300 साल तक राज किया है. इस दौरान मुगलों की तमाम कहानियां भारत में आज भी पढ़ी और सुनी जाती हैं. कुछ कहानियां तो ऐसी होती हैं, जिनके बारे में सुनकर इंसानों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. आपको यह भी पता होगा कि मुगल सल्तनत के समय कई सारी नवाब और बादशाह हुआ करते थे, जो कि अपने हरम और रंगीनीयत के लिए खूब जाने जाते थे.

जी हां, मुगल बादशाह और नवाब अपने अपने अजीबोगरीब शौक के लिए काफी पॉपुलर रहते थे. कई ने तो अपनी जवानी भरे शौक को पूरा करने के लिए ऐसे ऐसे नुस्खे आजमाए, जिनके बारे में जानकर आपके पसीने छूट जाएंगे. दरअसल मुगल नवाब और बादशाह चाहते थे कि उन पर बुढ़ापा कभी हावी ही ना हो और अपनी मर्दाना ताकत को बनाए रखने के लिए यह लोग ऐसी-ऐसी यूनानी दवाएं और आयुर्वेद अपनाते थे, जिनके बारे में आमजन सुनकर होश ही खो दें.

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बादशाहों की रंगीन मिजाज से जुड़ा एक किस्सा दीवान जरमनी दास ने अपनी किताब महाराजा में किया है. आपके पैरों के तले जमीन खिसक जाएगी, जब आपको पता चलेगा कि मुगल बादशाह अपनी मर्दाना ताकत को बनाए रखने के लिए तीतर-बटेर जैसे पक्षियों तक को खाते थे. इतना ही नहीं, वे शक्तिवर्धक दवाएं भी लेते थे. मुगल साम्राज्य के महाराजा हर मुमकिन कोशिश करते थे कि जो कि उन्हें कमजोर ना होने दे. विशेषज्ञों का मानना है कि यूनानी आयुर्वेद में इसे प्रोटीन बताया जाता था. इसकी पूर्ति के लिए वह गर्म तासीर का मांस खाते थे.

गोश्त समेत कई चीजें
जानकारी के मुताबिक मुगल बादशाहों और नवाबों को उनके खाने में गोश्त तो दिया ही जाता था. इसके साथ ही सूखे मेवे भी दिए जाते थे. यह खजूर, लहसुन, अदरक, प्याज को ऐसे ही चबा जाते थे. उनका मानना था कि गर्म तासीर वाली चीजें ताकत बढ़ाती हैं और कई बार तो यह पान में हरताल वर्किया जड़ी-बूटी मिलाकर खाते थे.

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स्वर्ण भस्म का सेवन
मुगल शहजादी उसे संबंध बनाने से पहले अपनी मर्दाना ताकत को बरकरार रखने के लिए अवध के नवाब वाजिद अली शाह का एक किस्सा तो काफी पॉपुलर हुआ था. कहते हैं कि नवाब का बावर्ची हर दिन खजाने से एक सोने की अशर्फी लेता था और उसकी स्वर्ण भस्म तैयार करता था. एक बार जब दरबारियों ने उसे अशर्फी देने से मना कर दिया तो उसके बाद से ही नवाब के खाने का स्वाद बदल गया. कहा जाता है कि वह स्वाद स्वर्ण भस्म से आता था, जिसकी वजह से नवाब नवाब की मर्दाना ताकत में इजाफा होता था.

हिरण की नाभी खाते थे मुगल
मुगल सल्तनत के आयुर्वेद में कई तरह के वस्तु और भस्म का जिक्र किया गया है. कहा जाता है कुछ मुगल बादशाह तो उबला हुआ गोश्त और पान में भस्म को मिलाकर सेवन करते थे. कुछ मुगल बादशाह तो काले हिरण की नाभि, जंगली खरगोश को खाते थे. उनका मानना था कि शरीर में यह शक्ति देते हैं. हैरानी की बात तो यह है कि इस तरह के इतने सारे नुस्खे हमेशा राजा महाराजाओं को फायदा ही नहीं देते थे कि उनकी मदाना ताकत ही बढ़े. कई बार इसके बुरे असर भी उनके शरीर पर देखने को मिलते थे. कई बार पावर बढ़ाने वाली दवाओं के चलते ही राजाओं की प्रोस्टेट ग्रंथि में कई बुरे असर पड़ते थे.

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