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फांसी देने से ठीक पहले जल्लाद कैदी के कान में क्या कहता है?

Trending Gk Quiz: भारत में कुछ अपराध ऐसे हैं, जिनके लिए भारतीय न्यायाधीश संहिता ने मौत की सजा का प्रावधान बनाया है. भारत में जब भी किसी अपराधी को फांसी की सजा दी जाती है तो हमेशा दिन में ही जाती है और फांसी देने से ठीक पहले वहां मौजूद अपराधी के कान में एक विशेष बात कहता है. कई बार लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर फांसी देने से पहले जल्लाद अपराधी के कान में क्या कहता है, इसके बारे में आपको बताते हैं.

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फांसी देने की समय की बात की जाए तो महीना के हिसाब से अलग-अलग तय किया जाता है. कई बार फांसी सुबह 6, 7 या फिर 8 के आसपास दी जाती है. ध्यान रखें फांसी हमेशा सुबह के समय ही दी जाती है. सुबह के समय फांसी देने के पीछे यह वजह बताई जाती है कि बाकी कैदी सो रहे होते हैं, ऐसे में जब जिस कैदी को फांसी दी जानी है, उसे दिन भर करने का इंतजार नहीं करना पड़ता है.

सुबह के समय फांसी देने के पीछे यह भी वजह बताई जाती है कि उसके परिवार वालों का अंतिम संस्कार का मौका मिल जाता है. जब भी किसी अपराधी को फांसी की सजा मिलती है तो करीब 10 से 15 दिन पहले ही उसके परिवार को सूचित कर दिया जाता है ताकि उसके परिवार के लोग उससे मिलने आ सकें. किसी भी कैदी को फांसी की सजा देने से पहले उसे नहलाया जाता है और नए कपड़े भी पहनाए जाते हैं. इसके बाद उसे फांसी के फंदे तक पहुंचाया जाता है. फांसी पर लटकाने से पहले करने वाले इंसान की आखिरी इच्छा पूछी जाती है. इसमें उससे पूछा जाता है क्या वह कोई अच्छा खाना खाना चाहता है, परिवार से मिलना चाहता है या कोई अन्य बात.

फांसी से पहले कैदी की आखिरी इच्छा पूछे जाने के पीछे क्या वजह होती है?

हिंदुओं को राम-राम और मुसलमानों को सलाम
फांसी देने वाला जल्लाद पहले अपराधी के कान में कुछ कहता है और उसके बाद भी वह चबूतरे से जुड़ा हुआ लीवर खींच देता है. किसी भी कैदी को फांसी पर खींचने से पहले जल्द उसके कान में कहता है ‘हिंदुओं को राम-राम और मुसलमानों को सलाम, मैं अपने फर्ज के आगे मजबूर हूं. आपके सत्य की राह पर चलने की कामना करता हूं.

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