karn ka antim sanskar

महाभारत में किसने किया था कर्ण का अंतिम संस्कार?

Mahabharat Interesting Facts: अपने महाभारत के बारे में तो पढ़ा सुना ही होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाभारत में कर्ण का अंतिम संस्कार किसने किया था? बता दें कि पूरी महाभारत में केवल कर्ण ही ऐसे पात्र थे, जो की देव पुत्र होने के बावजूद भी सामाजिक प्रताड़ना को सहन कर रहे थे.

कर्ण को कुंती पुत्र कहा जाता है और कुंती को भगवान सूर्य ने वरदान दिया था. इसके बाद मंत्र से ही कुंती को पुत्र रूप में कर्ण की प्राप्ति हुई थी. जिस समय कर्ण ने जन्म लिया, उस समय कुंती अविवाहित थी इसलिए उन्होंने कर्ण का त्याग कर दिया था और इसके बाद सामाजिक रूप से पिछड़े व्यक्ति ने उनका पालन-पोषण किया था. कुछ लोग तो कर्ण को सूत पुत्र भी कहते हैं.

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महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण पांडवों की तरफ से लड़े थे लेकिन कर्ण ने कौरवों का साथ दिया था. इसके बावजूद भगवान श्री कृष्ण ने कर्ण का अंतिम संस्कार किया था लेकिन कई लोग उसके पीछे का कारण जानना चाहते हैं. दरअसल, कर्ण को दुनिया का सबसे बड़ा दानवीर माना जाता था और भगवान श्री कृष्ण ने उनके अंतिम क्षण में उसकी परीक्षा ली थी.

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जब भगवान श्री कृष्ण ने कर्ण से दान मांगा तो कर्ण ने उन्हें दान में अपने सोने के दांत तोड़ कर दे दिए. उन्होंने अपने दांत भगवान के चरणों में अर्पित कर दिए. पहले वरदान में कर्ण ने भगवान श्री कृष्ण से उसके वर्ग के लोगों का अगले जन्म में कल्याण करने को कहा. दूसरे वरदान में करने भगवान कृष्ण को अगला जन्म अपने राज्य में लेने की बात कही. तीसरे वरदान में कर्ण ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि मेरा अंतिम संस्कार एक ऐसा इंसान करें, जो कि पाप मुक्त हो.

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भगवान श्री कृष्ण ने कर्ण को सारे वरदान तो दे दिए लेकिन अंतिम वरदान के बारे में वह सोचने लगे कि आखिर ऐसा कौन है, जो पाप मुक्त हो. वचन देने की बद्धता के चलते कर्ण का अंतिम संस्कार खुद भगवान श्री कृष्ण ने अपने हाथों से किया था.

(Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं-परंपराओं के अनुसार हैं. Readmeloud इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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